प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय के सभागार में रविवार को हिंदी दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता आयुक्त हिमांशु कुमार राय ने की. उन्होंने कहा कि कोई भी भाषा ध्वनि का स्वरूप होती है, जिसे हम बोलकर या लिखकर प्रकट करते हैं. हमारे देश में बहुत सारी बोलियां बोली जाती हैं. हिंदी को हम देवनागरी लिपि में लिखते हैं. हिंदी का इतिहास लगभग 200 वर्ष पुराना है. हिंदी मुख्यतया मेरठ क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा थी. बाद में स्थानीय बोलियां भी इसमें समाहित होती गयी. हालांकि दक्षिण भारत में अभी भी इसकी पकड़ कमजोर है. उन्होंने कहा कि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया. हिंदी के विकास में विश्वविद्यालय, आवागमन और फिल्मों ने अहम योगदान दिया है. लेकिन अंग्रेजी के तेज प्रसार और रोचक साहित्य की कमी चुनौती बनी हुई है. उन्होंने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा बने इसके लिए सभी को अपनी बोलियों के साथ हिंदी का प्रयोग करना होगा. क्षेत्रीय विकास पदाधिकारी अनिल कुमार राय ने कहा कि 1953 से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता रहा है. इसका उद्देश्य हिंदी को सशक्त बनाना और सर्वत्र प्रयोग को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि हिंदी के विकास के लिए किसी भाषा का विरोध करने की जरूरत नहीं है. अवर सचिव रघुवीर मंडल और संयुक्त निदेशक जनसंपर्क नागेंद्र कुमार गुप्ता ने भी हिंदी के महत्व और साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में आयुक्त सचिव विनोद कुमार सिंह समेत सभी शाखा पदाधिकारी मौजूद रहे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

