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सावधान ! मिलावटी दूध कहीं बीमार न कर दे

भागलपुर : सेहत के नाम पर हर सुबह दूध पीनेवाले भागलपुरवासियों के लिए सतर्क करने वाली खबर है. मुनाफे के चक्कर में आपकी सेहत के साथ हर रोज खिलवाड़ किया जा रहा है. अधिक कमाई की फिराक में दूध विक्रेताओं द्वारा दूध में विभिन्न प्रकार की मिलावट की जा रही है, जो न केवल सेहत […]

भागलपुर : सेहत के नाम पर हर सुबह दूध पीनेवाले भागलपुरवासियों के लिए सतर्क करने वाली खबर है. मुनाफे के चक्कर में आपकी सेहत के साथ हर रोज खिलवाड़ किया जा रहा है. अधिक कमाई की फिराक में दूध विक्रेताओं द्वारा दूध में विभिन्न प्रकार की मिलावट की जा रही है, जो न केवल सेहत के लिहाज से खतरनाक है, बल्कि इसके सेवन से जान तक जा सकती है. एक अनुमान के मुताबिक, हर रोेज 30 हजार लीटर मिलावटी दूध भागलपुर में पिया जा रहा है. यह मिलावट का खेल भागलपुर या बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में जारी है.
68.4 प्रतिशत दूध में कोई न कोई मिलावट : 2011 में एफएसएसएआइ ने 33 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश में अध्ययन किया. इसमें 68.4 फीसदी नमूनों में मिलावट पायी गयी. राज्यवार दूध में मिलावट की बात करें तो 89 प्रतिशत सैंपल गुजरात, 76 प्रतिशत नमूने राजस्थान, 70 प्रतिशत दिल्ली, यूपी, पंजाब व हरियाणा में फेल हो गया. इसके अलावा मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र में 48 प्रतिशत, बिहार-बंगाल में 37 प्रतिशत फेल मिला. सिर्फ गोवा और पुडुचेरी में लिये गये दूधे के नमूने शत प्रतिशत पास हुए.
केंद्र-राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने दिये दिशा-निर्देश : सुप्रीम कोर्ट ने मिलावटखोरों से निबटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को दस बिंदुओं पर दिशा-निर्देश भी दिये हैं. कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे डेयरी मालिकों-संचालकों को स्पष्ट निर्देश दें कि अगर उनके दूध में पेस्टिसाइड्स, कास्टिक सोडा और दूसरे रसायनिक पदार्थ पाये गये तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी. स्टेट फूड सेफ्टी अथॉरिटी को उन इलाकों की पहचान करनी चाहिए जहां मिलावट का धंधा चलता है.
दूध में मिलावट करने पर उम्र कैद की हो सकती है सजा
बच्चों, बुजुर्गों व महिलाओं समेत सभी लोगों के लिए बेहद जरूरी माने जानेवाले आहार दूध के मिलावटखोरों को आनेवाले दिनों में उम्र कैद तक की सजा मिल सकती है. दरअसल दूध में मिलावट को गंभीर व देशद्रोह के समकक्ष अपराध मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे कानून में तुरंत बदलाव करके दोषियों को उम्रकैद की सजा का प्रावधान करें. कोर्ट ने बेहद सख्त लहजे में कहा कि दूध का इस्तेमाल सबसे ज्यादा बच्चे करते हैं, लिहाजा सरकारों को इस संबंध में जल्द ही व्यापक कानून बनाना चाहिए. यह याचिका स्वामी अच्युतानंद तीर्थ ने 2012 में दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाल ही में (पांच अगस्त 2016) सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने यह फैसला सुनाया.

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