फोटो आशुतोष : संवाददाता भागलपुर : खानकाह -ए- शहबाजिया मौलानाचक स्थित शाहजहानी मसजिद मुगल शासक शाहजहां ने बनवाया था. यह मसजिद करीब 375 साल पुराना है. यहां आराम फरमा रहे बुजुर्गों की दुआ मिलने से ही शाहजहां को दिल्ली की तख्त मिली थी. मसजिद में लगे पत्थर शाहजहां काल को दरसाता है. मसजिद परिसर में बना बजुखाना भी उसी दौर का बना है. ईद व बकरीद की नमाज के लिए लोगों यहां बड़ी भीड़ उमड़ती है. जिले और जिले से बाहर के लोग रमजान के मौका पर जुमा की नमाज अदा करने यहां आते हैं. खानकाह -ए- शहबाजिया के सज्जादानशीं मौलाना सैयद शाह इंतेखाब आलम शहबाजी हुजूर मियां ने बताया कि यहां आराम फरमा रहे बुजुर्गों की दुआ से मुगल शासक शाहजहां को तख्त मिला था. शाहजहां के कहने पर ही उनके लोगों ने इस मसजिद का निर्माण कराया था. शाहजहां के नाम पर ही इस मसजिद का नाम शाहजहानी मसजिद पड़ा. आज भी मसजिद में कई ऐसे चीजें हैं, जो शाहजहां के समय की हैं.
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शाहजहां ने बनाया था शाहजहानी मसजिद
फोटो आशुतोष : संवाददाता भागलपुर : खानकाह -ए- शहबाजिया मौलानाचक स्थित शाहजहानी मसजिद मुगल शासक शाहजहां ने बनवाया था. यह मसजिद करीब 375 साल पुराना है. यहां आराम फरमा रहे बुजुर्गों की दुआ मिलने से ही शाहजहां को दिल्ली की तख्त मिली थी. मसजिद में लगे पत्थर शाहजहां काल को दरसाता है. मसजिद परिसर में […]
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