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Bhagalpur News: देश के 10 राज्यों के 28 वैज्ञानिकों को मिला बीएयू में प्रशिक्षण

कृषि में डिजिटल प्रयोग और स्मार्ट कृषि में साइबर सुरक्षा की वैज्ञानिकों को मिली जानकारी

कृषि में डिजिटल प्रयोग और स्मार्ट कृषि में साइबर सुरक्षा की वैज्ञानिकों को मिली जानकारी

– आइसीटी पर 21 दिवसीय सीएएफटी प्रशिक्षण का समापन

– एआइ और आइसीटी के माध्यम से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव संभव : कुलपति

यह कार्यक्रम सैद्धांतिक ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव का था समन्वय : डॉ सोहाने

प्रतिनिधि, सबौर

बिहार कृषि विश्वविद्यालय में कृषि 5.0 अगली पीढ़ी की कृषि के लिए एआइ और आइसीटी को अपनाना विषय पर चल रहे 21 दिवसीय उन्नत प्रशिक्षण कार्यक्रम का सोमवार को समापन हो गया. प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिया गया. समापन समारोह की अध्यक्षा बीएयू के कुलपति डॉ डी आर सिंह ने की. कुलपति ने कहा कि एआइ और आइसीटी के माध्यम से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव संभव है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण से कृषि पेशेवरों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया जा सकता है. बीएयू सबौर की ओर से कृषि में नवाचार और सतत विकास को प्रोत्साहित करने को लेकर ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की प्रतिबद्धता जतायी गयी. उन्होंने कृषि में एकीकृत सुपर एप निर्माण की नई पहल पर विचार रखा. साथ ही प्रतिभागियों को सोशल मीडिया के माध्यम से किसानों तक जानकारी पहुंचाने के लिए नये वीडियो तैयार करने जैसी पहल अपनाने का सुझाव दिया.

विभिन्न सत्रों में एआइ-आधारित फसल रोग पहचान, ड्रोन तकनीक आदि की मिली जानकारीप्रशिक्षण कार्यक्रम के पाठ्यक्रम निदेशक सह बीएयू के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ आर के सोहाने ने बताया कि यह कार्यक्रम 28 जनवरी से 17 फरवरी 2025 तक आयोजित हुआ. जिसमें विभिन्न कृषि विषयों से जुड़े देश के 10 राज्यों से आये 28 वैज्ञानिकों ने भाग लिया. प्रशिक्षण का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के नवीनतम अनुप्रयोगों से प्रतिभागियों को अवगत कराना था. विभिन्न सत्रों में एआइ-आधारित फसल रोग पहचान, ड्रोन तकनीक द्वारा सटीक कृषि, कृषि में डिजिटल अनुप्रयोग और स्मार्ट कृषि में साइबर सुरक्षा जैसे उन्नत विषयों पर विशेष ध्यान दिया गया. यह कार्यक्रम सैद्धांतिक ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव का एक समन्वय था. समापन सत्र के दौरान सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित कुलपति के हाथों किया गया.

यह कार्यक्रम देश में बीएयू के अग्रणी भूमिका को दर्शाता हैइस प्रशिक्षण कार्यक्रम के डॉ आदित्य सिन्हा और डॉ सीके पांडा पाठ्यक्रम समन्वयक थे. यह कार्यक्रम कृषि क्षेत्र में डिजिटल नवाचारों की बढ़ती आवश्यकता को दर्शाता है और कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान में बीएयू सबौर की अग्रणी भूमिका को प्रमाणित करता है. मौके पर बीएयू के पीआरओ डॉ राजेश कुमार सहित अन्य वैज्ञानिक व पदाधिकारीगण मौजूद थे.

————————देश के विभिन्न राज्यों से आये प्रतिभागियों ने की प्रशिक्षण की सराहनायुनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर सांइस, बागलकोट, कर्नाटक से आये सहायक प्राध्यापक डॉ माला सी पाटिल ने कहा कि जब भी हम सबौर में बिताए लम्हें आजीवन याद रहेगा और जो भी यहां सीखा है उसे वे अपने राज्य के किसानों के हित में लागू करेंगे.

——————-वेटनरी कालेज त्रिपुर, तमिलनाडु के सहायक प्राध्यापक डॉ एल अरुण ने कहा कि बीएयू ने कृषि में प्रयोग होने वाले तकनीकों में नेक्स्ट लेवल का कार्य किया है, जिसके बारे में अन्य विश्वविद्यालय अभी तैयारी ही कर रहा है. हमने प्रसार आइसीटी और मीडिया के प्रयोग को बखूबी सीखा और अपने विश्वविद्यालय में जाकर लागू करने की बात बताया.

———————-गलगोटियास विश्वविद्यालय ग्रेटर नोयडा से आये डॉ अंजू कापरी ने सबौर के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि आने वाले समय में हम कृषि को उस स्तर तक ले जाना चाहते हैं जहां आज पश्चिमी देशों के किसान खड़े हैं तो भारत के अन्य कृषि विश्वविद्यालय के पास बीएयू जैसी तकनीक को अपनाना होगा.

——————-युनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर सांइस बागलकोट, कर्नाटक से आये सहायक प्राध्यापक डॉ थून्गामानी ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय के मीडिया सेंटर और सामुदायिक रेडियो स्टेशन के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि बीएयू के मदद से वे भी अपने विश्वविद्यालय में इस तरह के ही हाईटेक प्रसार को विकसित करने के इच्छुक हैं.

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Prabhat Khabar News Desk
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