हनुमान घाट के पास तो गंगा के एक छोर से दूसरे छोर तक जाल बिछा दिया गया, लेकिन वन विभाग नहीं कर रहा कार्रवाई
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डॉल्फिन की सुरक्षा को ले कोई पहल नहीं
हनुमान घाट के पास तो गंगा के एक छोर से दूसरे छोर तक जाल बिछा दिया गया, लेकिन वन विभाग नहीं कर रहा कार्रवाई भागलपुर : डॉल्फिन की सुरक्षा को लेकर वन विभाग चिंतित नहीं है. गंगा में छोटे से लेकर बड़े दर्जनों जाल मिल जायेंगे. कई छोटे नाव पर जाल रख कर मुख्य धार […]
भागलपुर : डॉल्फिन की सुरक्षा को लेकर वन विभाग चिंतित नहीं है. गंगा में छोटे से लेकर बड़े दर्जनों जाल मिल जायेंगे. कई छोटे नाव पर जाल रख कर मुख्य धार में भी मछली पकड़ रहे हैं. जो डॉल्फिन के जीवन को संकट में डाल सकता है. वन विभाग की माने तो गंगा का मुख्य धार का पानी नवगछिया से होकर गुजर रही है. इस कारण डॉल्फिन उधर ही है. लेकिन गंगा का पानी जिस ओर तक जाता है, डॉल्फिन वहां तक जाती है. लेकिन गंगा में लगे जाल को अभी तक हटाया नहीं जा रहा है.
चोरी -छिपे मुख्य धार में भी जाल लगाकर मारते हैं मछली : चोरी छिपे गंगा में जाल लगाकर मछली पकड़ी जाती है. इस जाल में डॉल्फिन के फंसने का डर बना रहता है. पुल घाट से बगल वाले घाट में काफी अधिक जाल है, जिससे मछुआरे मछली मारते हैं. सुबह को तो गंगा से मारे गये मछली को चौक पर बेचते भी हैं.
डॉल्फिन की रक्षा, गंगा की सुरक्षा का बोर्ड लगाकर, भूल गया विभाग : वन विभाग डॉल्फिन की रक्षा, गंगा की सुरक्षा का बोर्ड लगा कर भूल गया. वन विभाग यह बोर्ड अपने कार्यालय के पास लगाया है. लिखा है विक्रमशिला गांगेय डॉल्फिन आश्रयणी क्षेत्र सुल्तानगंज से कहलगांव तक 60 किलोमीटर है . बोर्ड में लिखा है कि डॉल्फिन को पकड़ना या मारना वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत जघन्य अपराध है. हम सब मिलकर डॉल्फिन की रक्षा करें.
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