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भागलपुर में आया श्वेतराज

भीखनपुर में है सफेद रंग की चील भागलपुर : इन दिनों भागलपुर में लगातार सफेद रंग की चील दिख रहे हैं, जो कि भागलपुर के लिए राहत देने वाली खबर है. दरअसल चील व गिद्ध को लुप्त होने वाले पक्षियों में रखा जा रहा है. ऐसे में सफेद चील का भागलपुर में आना खुशखबरी है. […]

भीखनपुर में है सफेद रंग की चील

भागलपुर : इन दिनों भागलपुर में लगातार सफेद रंग की चील दिख रहे हैं, जो कि भागलपुर के लिए राहत देने वाली खबर है. दरअसल चील व गिद्ध को लुप्त होने वाले पक्षियों में रखा जा रहा है. ऐसे में सफेद चील का भागलपुर में आना खुशखबरी है. जिला स्तरीय विशेषज्ञ आकलन समिति (पर्यावरण एवं वन विभाग बिहार, )भागलपुर के सदस्य दीपक कुमार ने बताया कि भीखनपुर में सफेद रंग की चील रह रहे हैं.
उन्हें 17 नवंबर को भीखनपुर में काली चील के झुंड के बीच एक सफ़ेद चील देखा. इसकी पहचान की. इसके बाद लगातार इस पर नजर बनाये रखा. अब तक नियमित उसके आवास, व्यवहार, भोजन, रहन-सहन आदि पर अध्ययन किया. उन्होंने दावा किया कि काली चील के मामले में पूरी दुनिया में एकमात्र उदाहरण है कि कई ल्यूसिज्म व अल्बिनो अन्य पक्षी जैसे मोर, पेंगुइन, कौआ, बुलबुल आदि में है.
ल्यूसिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें मेलेनिन की अनुपस्थिति होती है. मेलेनिन त्वचा, पंख, बालों को उनका रंग देता है और पंखों को मजबूत और टिकाऊ बनाता है. मेलेनिन जीवों को यूवी किरणों के नुकसान से बचाने में भी मददगार है. मेलेनिन पक्षी के पंखों में वॉटरप्रूफिंग क्षमताओं की कमी रहती है वे चिपचिपे होते हैं और गंदे भी दिख सकते हैं.
काली चील की प्रजाति यूरोप, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में पायी जाती है. पूरे देश में इसे देखा जाना आम है. वे अवसरवादी शिकारी, सर्वभक्षी तथा मुर्दाखोर चिड़िया है, चील उड़ने में बड़ी दक्ष होती है. कैद में तो इनका बचा रहना संभव है पर जंगली अवस्था में ऐसे जीव 24 घंटे से ज्यादा जीवित नहीं रहते पर भागलपुर की ये काली चील एक उदहारण है जो वयस्क होने तक जीवित भी है और ऊंची उड़ान में सक्षम भी.

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