भागलपुर: तीन माह से वेतन नहीं मिला है. जीवन काटना मुश्किल हो गया है. बच्चों की पढ़ाई पर संकट गहराने लगा है. लगन में सगे-संबंधियों के घर नहीं जाने का बहाना ढूंढ़ते रहते हैं.
यह हाल जिले के 38 पुस्तकालयाध्यक्षों की हो गयी है. नव स्थापित जिला स्कूल में कार्यरत पुस्तकालयाध्यक्ष अश्विनी कुमार आर्य ने बताया कि तीन माह से वेतन नहीं मिलने से भुखमरी के कगार पर हैं. हालत यह है कि जीवन यापन के लिए ट्यूशन करना पड़ रहा है. किराना दुकानदार उधार देना बंद कर दिया है. ज्योति मिश्र, नीतू जायसवाल, जयश्री व हृदय नारायण भी कमोबेश इसी स्थिति से गुजर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि 2014 के मार्च से वेतन बंद है. वित्तीय वर्ष 2012-13 के दिसंबर, जनवरी व फरवरी का वेतन अबतक नहीं मिला है. वेतन नहीं मिलने से हालात खराब होती जा रही है. दो वक्त की रोटी पर आफत आ गयी है. किसी तरह बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर जीवन व्यतीत कर रहे है. कभी -कभी तो आत्म हत्या कर लेने का मन करता है.
वेतन को लेकर डीपीओ स्थापना से मिले, लेकिन उनकी ओर से कोई कारगर पहल नहीं की गयी. अधिकारी बताते हैं कि सरकार की ओर से आवंटन प्राप्त नहीं हुआ है. आवंटन आने पर वेतन की भुगतान किया जायेगा.