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Bettiah : दहवा के ग्रामीणों ने श्रमदान से बनायी सड़क, जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा पर जतायी नाराजगी

प्रखंड की खोतहवा पंचायत के दहवा गांव में विकास की दौड़ में शामिल होने का सपना संजोए दहवा गांव के ग्रामीणों ने अपनी एकजुटता और श्रमदान से ऐसी मिसाल पेश की है.

दहवा के ग्रामीणों ने श्रमदान से बनायी सड़क, जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा पर जतायी नाराजगी दर्जनों ग्रामीणों ने एकजुट होकर लगभग 150 मीटर लंबी सड़क की मिट्टी भराई का काम पूरा कर दिखाया मधुबनी. प्रखंड की खोतहवा पंचायत के दहवा गांव में विकास की दौड़ में शामिल होने का सपना संजोए दहवा गांव के ग्रामीणों ने अपनी एकजुटता और श्रमदान से ऐसी मिसाल पेश की है, जो समाज को प्रेरणा देती है.लंबे समय से सड़क निर्माण की मांग करने के बावजूद जब उनकी आवाज पर जनप्रतिनिधि तक ने ध्यान नहीं दिया. तो नाराज ग्रामीणों ने स्वयं श्रमदान कर सड़क बनाने का बीड़ा उठाया. गांव के गुलाब अंसारी, रामू साह, वीरेंद्र चौधरी, रमेश गुप्ता, वीरेंद्र यादव, संजय कुशवाहा, तपन शुक्ला, नियाज़ अंसारी, विजय कुशवाहा, प्रदीप कुशवाहा, मंटू कुशवाहा, अशोक कुशवाहा सहित .दर्जनों ग्रामीणों ने एकजुट होकर लगभग 150 मीटर लंबी सड़क की मिट्टी भराई का काम पूरा कर दिखाया ग्रामीणों से सड़क में मिट्टी भराई के दौरान स्वयं किया काम लोगों ने अपने-अपने घर से फावड़ा, बेलचा और टोकरी लाकर श्रमदान किया और आपसी सहयोग से सड़क को तैयार किया. इस सामूहिक पहल से यह साफ झलकता है कि अगर जनता ठान ले तो बिना सरकारी मदद के भी विकास संभव है. ग्रामीणों ने बताया कि यह सड़क उनके दैनिक जीवन के लिए बेहद जरूरी थी फसलों की खेतों से खलिहान तथा बारिश के दिनों में सड़क कीचड़ से भर जाती थी.किसानों को खेत तक पहुंचने में और लोगों को बीमार पड़ने पर अस्पताल ले जाने में काफी कठिनाई होती थी. कई बार जनप्रतिनिधियों से मांग करने के बाद भी जब समस्या का समाधान नहीं हुआ. ग्रामीणों ने खुद श्रमदान करने का निर्णय लिया, सड़क निर्माण में ग्रामीणों में दिखा उत्साह तो ग्रामीणों ने खुद श्रमदान करने का निर्णय लिया.इस पहल से ग्रामीणों में उत्साह का माहौल है. लोगों का कहना है कि श्रमदान न सिर्फ सड़क बनाने का साधन बना. बल्कि आपसी भाईचारा और सहयोग की मिसाल भी पेश की ग्रामीण गुलाब अंसारी ने कहा कि “जब जनता एकजुट हो जाती है तो कोई भी कठिनाई बड़ी नहीं होती. वहीं वीरेंद्र चौधरी और रमेश गुप्ता ने बताया कि आने वाले दिनों में वे सड़क की पक्कीकरण की भी मांग सरकार से करेंगे. गांव के युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा यह सुविधा लंबे समय तक बनी रहे गांव के युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और श्रमदान को एक सामाजिक अभियान का रूप दिया. उनका कहना है कि इस तरह के कार्यों से नई पीढ़ी को भी प्रेरणा मिलेगी. ग्रामीणों का मानना है कि विकास की राह में सरकारी सहयोग महत्वपूर्ण है. लेकिन अगर वह समय पर न मिले तो समाज को खुद भी आगे बढ़कर योगदान देना चाहिए.दहवा के इस श्रमदान ने साबित कर दिया है कि आत्मनिर्भरता और आपसी सहयोग से किसी भी समस्या का समाधान संभव है. ग्रामीणों की इस कोशिश को आसपास के गांवों में भी सराहा जा रहा है और लोग इसे अनुकरणीय पहल मान रहे हैं.

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