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हरनाटांड़ के आसपास गांवों में बंदरों का आतंक, कई लोगों को काट कर किया जख्मी

वीटीआर के जंगल से भटका बंदरों का झुंड सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों में आतंक बढ़ रहा है. बंदरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.

हरनाटांड़. वीटीआर के जंगल से भटका बंदरों का झुंड सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों में आतंक बढ़ रहा है. बंदरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. लौकरिया थानाक्षेत्र के हरनाटांड़ में करीब एक माह से एक बंदर ने आतंक मचाया हुआ है. आतंक इस कदर बढ़ गया है कि लोग डर के साये में जीने को मजबूर हैं. ग्रामीणों के अनुसार बंदरों के झुंड कब किस पर व्यक्ति पर हमला कर दे पता नहीं. बच्चे, बुढे, बुजुर्ग सभी को दौड़ाकर काट रहे बंदर ने करीब 50 लोगों को अपना शिकार बना चुका है.स्थानीय निवासी सुशील मिश्रा, अमरजीत सिंह, राजेश कुमार, धीरज जायसवाल, सनोज शर्मा, दिलीप जायसवाल आदि ने बताया कि पुरे हरनाटांड़ में एक माह से वह बंदर आतंक का पर्यायवाची बन चुका है. सनकी बंदरों के आतंक से स्थानिक ग्रामीण सहित स्कूली बच्चे दहशत में हैं. बच्चों को विद्यालय भेजने में डर लग रहा है. घर में भी घुस कर समानों को क्षतिग्रस्त कर दे रहे हैं. स्थानीय स्तर से लेकर डीएफओ कार्यालय तक सूचना देने के बावजूद बंदर का रेस्क्यू नहीं होने से लोगों में वन विभाग के प्रति आक्रोश पनप रहा है. आये दिन 20 से 25 व्यक्ति को दिया जाता है एंटी-रेबीज वैक्सीन. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरनाटांड़ अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों से आए व्यक्ति को 20 से 25 को एंटी-रेबीज वैक्सीन दिया जाता है. यह ऐसे व्यक्ति हैं जो कुत्ता, बिल्ली और बंदर द्वारा हमला कर काटे हैं.आज कल हरनाटांड़ बाजार सहित आस पास में प्रतिदिन दो से तीन लोग बंदर के हमले से जख्मी होकर अस्पताल आ रहे है. राहत है कि स्वास्थ्य केंद्र में एंटी-रेबीज वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में है. इस बावत हरनाटांड़ वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी शिव कुमार राम ने बताया कि बंदर के आतंक की सूचना प्राप्त होते हीं उसके गतिविधियों का अवलोकन कराया गया है, बंदर काफी शातिर है. उसके रेस्क्यू के लिए गेज (पिंजड़ा) लगवाया जा रहा है.

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