बगहा/हरनाटांड़ (पच) थरुहट क्षेत्र हरनाटांड़ की प्रिया जायसवाल ने साइंस में पूरे राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त कर नाम रोशन किया है. प्रिया ने 484 अंक (96.8 प्रतिशत) हासिल किए हैं. उसकी सफलता से न केवल परिवार बल्कि पूरे जिले में खुशी का माहौल है. प्रिया ने साइंस, कॉमर्स व आर्ट्स तीनों संकाय में सर्वाधिक नंबर लाकर डंका बजाया है. कभी रेड कॉरिडोर के नाम से जाना जाता रहा इस इलाके की बेटी ने बदलते बिहार की नजीर पेश की है. प्रिया के घर पर बधाइयां व शुभकामनाएं देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है. प्रिया शुरू से ही मेधावी छात्रा रही है. 10वीं बोर्ड परीक्षा में 8वां रैंक हासिल किया था. परिवार में भी शिक्षा का माहौल है. बड़ी बहन सोनी जायसवाल डीएलएड कर रही है. मंझली बहन प्रीति जायसवाल नीट की तैयारी में जुटी है. छोटे भाई आदित्य जायसवाल इंटर में पढ़ रहा है. यशराज जायसवाल कक्षा 8 का छात्र है. नक्सली क्षेत्र से निकलकर शिक्षा की मिसाल बनी प्रिया प्रिया का यह सफर आसान नहीं था. थरुहट क्षेत्र के हरनाटांड़ का इलाका कभी माओवादी गतिविधियों के लिए जाना जाता था. थारू जनजातियों बहुल इस इलाके में विकास व शिक्षा की रोशनी कम ही पहुंची थी. वीटीआर के जंगलों से घिरे इस क्षेत्र में अक्सर माओवादी गतिविधियां देखने को मिलती रहती थी. इससे यहां के बच्चों के लिए पढ़ाई करना बेहद चुनौतीपूर्ण था. प्रिया का परिवार भी उन्हीं चुनौतियों से जूझ रहा था. उनका घर जंगल के किनारे धुमवाटांड़ में था, जहां नेटवर्क की भारी समस्या थी. कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू होने के बाद यह समस्या और बढ़ गयी. शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए प्रिया के पिता संतोष जायसवाल ने हरनाटांड़ बाजार में घर बनवाया और परिवार को वहां शिफ्ट कर दिया. इसी फैसले ने प्रिया को आगे बढ़ने का मौका दिया. प्रिया का सपना डॉक्टर बनना है. आटा-चक्की मिल से दे रहे हैं बच्चों को शिक्षा प्रिया के पिता संतोष जायसवाल धुमवाटाड़ में आटा-चक्की मिल चलाते है. हरनाटांड़ में अपने परिवार के साथ इसी से जीविकोपार्जन करने लगे. मां रीमा जायसवाल गृहिणी है. परिजन बताते हैं कि प्रिया बचपन से ही मेधावी और तेज रही है. उसकी रुचि हमेशा पढ़ने-लिखने की रही है. प्रिया ने कहा कि माता-पिता परिश्रम का फल प्रिया ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, शिक्षकों व अपने कठिन परिश्रम को दिया. प्रिया की यह सफलता सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों में भी सपनों को साकार करने का हौसला रखती हैं. सभी बहनें 7 से 8 घंटे करती हैं सेल्फ स्टडी प्रिया के दादा पारस नाथ जायसवाल व दादी अरुणा देवी ने बताया कि संतोष जायसवाल की सभी बेटियां पढ़ने में काफी तेज हैं. प्रतिदिन 7 से 8 घंटे सेल्फ स्टडी करती हैं. वह पूरे बिहार में साइंस टॉपर हुई है. इससे बड़ी खुशी हमारे लिए कुछ हो ही नहीं सकती. वहीं संतोष जायसवाल ने बताया कि मेरी बड़ी बेटी कोटा में पढ़ती है, लेकिन प्रिया गांव में ही रहकर पढ़ाई करती है. हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि इसको भी कोटा भेज सकें. यह डॉक्टर बनना चाहती है. इस रिजल्ट को देखकर अब लगने लगा है कि यह अपने और हमारे सपने को पूरा करेगी.
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