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तीन साल से निलंबित प्लस टू की पूर्व एचएम ने जिला शिक्षा कार्यालय की कार्यशैली पर उठाया सवाल

बीते तीन साल से भी ज्यादा समय पूर्व निलंबित गौनाहा के नंदकेश्वर प्लस टू स्कूल पकड़ी अमोलवा की प्रधानाध्यापिका जिला शिक्षा कार्यालय की स्थापना शाखा की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाया है.

बेतिया. बीते तीन साल से भी ज्यादा समय पूर्व निलंबित गौनाहा के नंदकेश्वर प्लस टू स्कूल पकड़ी अमोलवा की प्रधानाध्यापिका जिला शिक्षा कार्यालय की स्थापना शाखा की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाया है. जिला शिक्षा अधिकारी मनीष कुमार सिंह को सौंपे आवेदन में पीड़ित प्रधानाध्यापिका सीमा कुमारी ने कहा है सरकारी सेवा नियमावली के अधिसूचित अनिवार्य नियमन के अनुसार निलंबन के तीन माह के अंदर आरोप गठित नहीं करने पर निलंबन का आदेश वापस लेने का सरकारी प्रावधान है. बावजूद इसके मेरे निलंबन के दो साल सात माह बाद आरोप गठित किया गया और कार्रवाई संचालन पदाधिकारी मनोनीत किया गया. बावजूद इसके गठित निराधार आरोप से संबंधित कोई भी साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया गया है. निलंबित प्रधानाध्यापिका ने अपने आवेदन में बताया है कि इस बीच निलंबन अवधि में ही मेरे कैंसर पीड़ित हो जाने के कारण बीते साल 18 अप्रैल 2024 से मुझे अपने कैंसर के गहन इलाज के लिए चिकित्सा अवकाश लेना पड़ा. श्रीमती सिंह ने अपने आवेदन में बताया है कि पुनः 19 नवंबर 2024 को ही मेरे योगदान समर्पित कर देने के बावजूद मेरे जीवन यापन भत्ता तक का अब भुगतान नहीं किया गया है. जिसके कारण मैं आर्थिक, मानसिक शारीरिक तौर पर यातना भुगतने के लिए जिला शिक्षा कार्यालय की स्थापना शाखा द्वारा अभिशप्त बना दी गई हूं. निलंबित प्रधानाध्यापिका ने खुद ही कैंसर से जूझ रही ने होने के बावजूद बीते करीब एक साल से जीवनयापन भत्ता का भुगतान रोक दिए जाने की जानकारी देकर डीईओ से लगाई है तत्काल भुगतान की गुहार लगाते हुए खुद को सरकार के विहित प्रावधानों के अनुसार खुद को निलंबन मुक्त करने की गुहार जिला शिक्षा अधिकारी से लगाया है. इसकी जानकारी देते हुए सीमा सिंह ने बताया कि मेरे इलाज के दौरान मेरे बेरोजगार पति को अपने हिस्से की पैतृक जमीन भी बेंच देना पड़ा है. आर्थिक अभाव में मैं पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल नहीं कर पाई हूं. इधर जिला शिक्षा अधिकारी मनीष कुमार सिंह ने स्वीकार किया कि किसी भी सरकारी कर्मी का बिना आरोप सिद्ध हुए तीन साल से अधिक निलंबित रखना गैर वैधानिक है. इस मामले को उनके संज्ञान में और पहले नहीं लाए जाने से पीड़ित पूर्व प्रधानाध्यापिका को हुई परेशानी खेदजनक है. संबंधित संचिका उनके द्वारा स्थापना संभाग के डीपीओ से मंतव्य के साथ मांगी गई है. इसके साथ ही डीईओ श्री सिंह ने बताया आवंटन उपलब्धता के अभाव में निलंबित प्रधानाध्यापिका को जीवन यापन भत्ता का भुगतान कुछ महीनों से नहीं हो पाया है.

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