अमित सागर, इनरवा नेपाल सीमावर्ती मैनाटांड़ क्षेत्र में विगत एक सप्ताह से भदई धान की खेती का कार्य तेजी से शुरू हो गया है. भदई धान (1442 या चाइना ब्रो वेराइटी) की बोआई के बाद अब किसान धान के बिचड़े को रोपाई में जुट गए हैं. अगेती खेती भदई धान के चलते साल में दो बार धान की खेती का उपज मिल जाता है और यह भदई की खेती छोटे और मध्यम वर्गीय किसानों के लिए सचमुच में वरदान साबित होता है. लेकिन मौजूदा समय में इस इलाके में सरकारी सिंचाई के संसाधन उपलब्ध नहीं होने से यह भदई की खेती थोड़ी महंगी बन गयी है. वैसे किसानों को उम्मीद है कि यदि मॉनसून का साथ मिला और भविष्य में समय से सिंचाई के लिए वर्षा हुई तो वे बेहतर उपज प्राप्त कर अपने महंगे खर्च की भरपायी और लाभ ले सकेंगे. उल्लेखनीय है कि प्रखंड क्षेत्र के भंगहा, रामपुर, डामरापुर, चौहटा आदि पंचायत क्षेत्रों में भदई फसल के लिए उत्तम मानी जाती हैं. धान की बुवाई का समय मौसम और जलवायु के अनुसार अलग-अलग हो सकता है, कुछ क्षेत्रों में अप्रैल-मई में भी रोपाई शुरू हो जाती है. भदई धान की रोपाई से अच्छी पैदावार प्राप्त होती है, खासकर यदि मौसम अनुकूल रहे. भदई धान की कुछ किस्में कम पानी में भी अच्छी उपज देती हैं. खेत तैयार कर चुके किसान अब मोटर नलकूप व पंपसेटों के सहारे खेतों में पानी भरकर रोपाई की कार्य शुरू कर चुके हैं. वैसे पानी भरकर रोपाई करना किसानों के लिए महंगा पड़ रहा है लेकिन किसानों का मानना है कि रोपाई पूरी हो जाएगी और पौधे जड़ पकड़ लेगें और जब बारिश होगी तो फसल बढ़वार पर आ जाएगी. इससे पैदावार बेहतर होगी. इधर जयनारायण प्रसाद कुशवाहा, रामाशीष प्रसाद कुशवाहा, सुधांसु दास, हरि महतो, नथुनी महतो, राघव पांडे व कामा यादव आदि किसानों ने बताया की 15 जून से 15 जुलाई माह तक भदई धान की फसल को काट ली जाएगी. उसके बाद मनीमसूरी, सोनामनसुरी, अब्दुल या बासमती इत्यादि वेराइटी की धान की रोपाई शुरू कर दी जाएगी. मॉनसून समेत पंप सेट और नलकूप के सहारे इलाका नेपाल सीमावर्ती इस क्षेत्र में राजकीय नलकूप और नहर जैसी अन्य सरकारी सिंचाई परियोजनाएं स्थापित नहीं हैं. इसलिए यहां के छोटे और मध्यम वर्गीय किसान मूलत: मॉनसून के भरोसे ही खेती करते हैं. वैसे कुछ किसान तो महंगे पंप सेट और नलकूप के सहारे भदई धान की खेती तो करने में सक्षम हो जाते हैं, लेकिन यह सब किसानों के बूते की बात नहीं है.
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