बेतिया/सिकटा. उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बीते 5 अगस्त को बादल फटने और भूस्खलन की भारी तबाही ने न केवल वहां के लोगों की जिंदगियों को उजाड़ा है, बल्कि पश्चिम चंपारण जिले के मजदूरों के परिवारों को भी गहरे सदमे में डाल दिया है. इस त्रासदी में पश्चिम चंपारण के 12 से अधिक मजदूर लापता हो गए, और उनके परिजन अब उनकी सलामती की उम्मीद छोड़ चुके हैं. कोई ठोस सूचना न मिलने पर कुछ परिवारों ने अपने प्रियजनों को मृत मानकर उनके पुतले बनाकर दाहसंस्कार तक कर लिया है.
गांवों में चीत्कार और मातम का माहौल है, और प्रशासनिक उदासीनता ने लोगों का गुस्सा और बढ़ा दिया है. बता दें कि सिकटा प्रखंड के मोगलहिया गांव के गरीब परिवारों के लिए उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों में मजदूरी रोजी-रोटी का एकमात्र जरिया है. धराली और आसपास के क्षेत्रों में सड़क निर्माण, होटल, और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में ये मजदूर काम करते थे. 5 अगस्त की त्रासदी में मोगलहिया से कमाने गये 8 मजदूर लापता हो गए. परिजनों का कहना है कि घटना के बाद से कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है. हम दिन-रात फोन करते हैं, लेकिन नेटवर्क नहीं है. प्रशासन से कोई जवाब नहीं मिल रहा. अब हमें लगता है कि हमारे लोग इस दुनिया में नहीं रहे. मोगलहिया निवासी अनिरुद्ध ठाकुर ने बताया कि कुछ परिवारों ने हताशा में अपने लापता परिजनों के पुतले बनाकर उनका दाहसंस्कार कर लिया, मानो वें उनकी सलामती की आखिरी उम्मीद छोड़ चुके हों. इस गांव में एक ही परिवार के पिता एवं दो पुत्रों के लापता होने की खबर ने पूरे परिवार को झकझोर दिया है. ये तीनों धराली में काम में लगे थे. गांव में मातम का माहौल है, और पड़ोसी परिवारों की मदद से पूतला बनाकर अंतिम संस्कार की रस्में निभाई जा रही हैं. मिली जानकारी के मुताबिक मोगलहिया गांव के मजदूरी करने गये लोगो में जिनके परिजनों से कोई संपर्क स्थापित नही हो पाया है उनमें संदीप कुमार, बृजेश यादव, राकेश कुमार, गुड्डु कुमार, मुन्ना कुमार, योगेंद्र मुखिया, देवराज शर्मा, अनिल कुमार, सुशील कुमार, राहुल कुमार मुखिया, संदीप कुमार के नाम शामिल हैं.दक्षिणी घोघा पंचायत के तीन लापता
धराली आपदा में चनपटिया प्रखंड के दक्षिणी घोघा पंचायत के कृष्णा राम (22) एवं रामाधार कुशवाहा (31) अभी भी लापता है. कृष्णा राम की मां सुगंधि देवी व पिता रूदल राम ने बताया कि उनका बेटा दो माह पूर्व धराली में काम करने के लिए गया था. घटना के दिन सुबह करीब 10 बजे उससे बातचीत हुई थी. उसी दिन शाम में गांव के ही श्यामबाबू ने उत्तराखंड से फ़ोन कर बताया कि यहां बदल फट गई है और बहुत से लोग मलबे में दबे हुए हैं. कृष्णा का मोबाइल बंद है. वहीं रामाधार कुशवाहा के पिता किशुन कुशवाहा व माता माया देवी ने बताया कि उनका एकलौता बेटा पिछले 7 जुलाई को उत्तराखंड गया था. वह वहां राजमिस्त्री का काम करता था. घटना के दिन ही करीब 11 बजे उससे बातचीत हुई थी. उस वक्त वह अपने किराए के मकान के बगल में ही भवन निर्माण में काम कर रहा था. खाना खाने के लिए दोपहर में वह कमरे में गया. उसी वक्त हादसा हो गयी. चंचल शर्मा का पुत्र निशु शर्मा (50) भी इस घटना के दिन से लापता हैं. निशु अपने परिवार के साथ पिछले करीब 20 वर्षो से रहकर ठीकेदारी का काम करते थे. घटना के बाद से गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

