गढ़पुरा. गढ़पुरा प्रखंड मुख्यालय स्थित जिला परिषद का पंचो सिंह तालाब इन दिनों कचराखाना बनकर रह गया है. इस ऐतिहासिक तालाब के अस्तित्व पर भी अब खतरा मंडराने लगा है. बावजूद ना ही किसी जनप्रतिनिधियों और ना ही किसी अधिकारियों की नजर इस ऐतिहासिक तालाब पर पड़ रही है. जहां क्षेत्र के लोग इस तालाब में आस्था के साथ छठ पूजा समेत शादी विवाह में पूजन करने पहुंचे हैं वहीं दुर्गा माता, सरस्वती माँ समेत विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमा का विसर्जन भी इसी तालाब में किया करते हैं. इस तालाब में स्थानीय लोग अब कचरा फेकने लगे हैं. सड़ा गला सब्जी के अलावे विभिन्न कचरा से तालाब दुर्गंधित हो चुका है. यहां तक की आस्था के साथ अब खिलवाड़ भी आरंभ कर दिया गया है. बताते चलें कि पोखर के सौंदर्यीकरण के लिए इसके तीनों मुहाने पर पंचायत निधि के अलावे मनरेगा एवं मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना से सीढ़ी निर्माण के कार्य पर लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं इसके बावजूद अभी भी दशकों से काम अधूरा ही पड़ा हुआ है. यहां तक की पूर्व में कई जिलाधिकारी इस ऐतिहासिक तालाबों की सौंदर्यीकरण को लेकर विभागीय अधिकारियों को जिम्मेदारी दिए थे लेकिन यह सभी जिम्मेदारी अब कचरे के ढेर में सिमट कर रह गया है. ग्रामीणों का कहना है कि सीढ़ी निर्माण से पूर्व यह तालाब इससे बहुत ही साफ था. अब तो यह तालाब प्रखंड का सबसे दुर्गंधित तालाब माना जा रहा है. बताते चलें कि गढ़पुरा पंचायत में लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत सफाई कर्मी की नियुक्ति हो चुकी है जो यदा कदा प्रखंड मुख्यालय के इस तालाब की सफाई करते हैं.
बीडीओ व मनरेगा पीओ ने लिया तालाब का जायजा
पंचो सिंह तालाब का निरिक्षण पिछले सप्ताह गढ़पुरा बीडीओ विकास कुमार एवं मनरेगा पीओ पंकज कुमार ने किया. इस दौरान मौजूद बीस सूत्री के अध्यक्ष कमल किशोर झा एवं सदस्य विकास सिंघानिया ने अधिकारीयों को अविलम्ब इस ऐतिहासिक तालाब का अस्तित्व बचाने के लिए इसे अतिक्रमण मुक्त करने एवं तालाब से गाध निकलबाने का आग्रह अधिकारियों से किया. बीडीओ ने बताया कि तालाब में मनरेगा से जो काम संभव है इसके लिए मनरेगा पीओ को निर्देशित किया गया है. वहीं सीढ़ी निर्माण के दिशा में भी सकारात्मक पहल करने का आश्वासन दिया.
नमक कानून भंग करने के दौरान श्री बाबू किया था स्नान
इसको ऐतिहासिक तालाब इसीलिए कहा जाता है क्योंकि यहां आजादी से पूर्व बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह मुंगेर से पैदल चलकर अंग्रेजों का नमक कानून भंग करने को लेकर गढ़पुरा पहुंचे थे. इस दौरान इसी तालाब में श्री बाबू ने स्नान करने के बाद बगल के दुर्गा मंदिर में पूजा अर्चना किये एवं दुर्गा गाछी में नोनिया मिट्टी से नमक बनाकर अंग्रेजों का काला कानून नमक आंदोलन को भंग किया था इसकी चर्चा आज भी इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है.
कहते हैं लोग
इस ऐतिहासिक तालाब को कई जिलाधिकारी भी सौंदर्यीकरण की बात कहे थे लेकिन सौंदर्यीकरण के बदले यह कूड़ा करकट फेंकने का जगह बनकर रह गया है. इस पर अधिकारियों को संज्ञान लेकर कचरा फैलाने वाले पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिये.
विकास कुमार सिंघानिया, सामाजिक कार्यकर्ता, गढ़पुरातालाब में सिर्फ गंदगी ही नही यह अतिक्रमण का शिकार भी है. जब-जब छठ पर्व आती है तो ग्रामीणों के सहयोग से इसकी साफ सफाई करते हैं इसके बाद यह फिर से कचरा खाना बन जाता है इस पर जनप्रतिनिधियों के द्वारा भी कोई पहल नही किया गया है.
पंकज कुमार महतो, अध्यक्ष, सार्वजनिक छठ पूजा समिति, गढ़पुराअधिकारियों की लापरवाही के कारण एक ऐतिहासिक धरोहर अस्तित्व मिटने के कगार पर है. प्रखंड मुख्यालय स्थित इस तालाब को बचाने का मुहिम अब ग्रामीणों को चलाने की आवश्यकता है. क्योंकि लाखो रुपये के योजना चलने के बावजूद तालाब में चारो तरफ गंदगी ही गंदगी है. जनप्रतिनिधियों को तो तालाब की दुर्दशा दिखता ही नही है. प्रशासन के नाक के सामने है फिर भी तालाब की यह दशा है.
रानी कुमारी, समाजसेविका, धरमपुरकहते हैं बीडीओ
तालाब में गंदगी फैलाने बाले को चिन्हित कर कार्रवाई की जायेगी. इधर तालाब के सौंदर्यीकरण को लेकर सम्बंधित अधिकारियों से बात किया गया है जल्द ही इस पर कार्य आरंभ किया जायेगा।
विकास कुमार, बीडीओ, गढ़पुराडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है