बखरी. बखरी में निबंधन कार्यालय द्वारा जमीन रजिस्ट्री में पारदर्शिता और राजस्व वृद्धि के लिए कड़ा कदम उठाया है. अनुमंडल क्षेत्र के 19 मौजों को चिह्नित किया गया है. जहां अब बिना भौतिक सत्यापन के जमीन रजिस्ट्री नहीं होगी. इसके लिए अनुमंडल निबंधन पदाधिकारी अंजली जोशी ने अपने आदेश पत्र 35/25 दिनांक 18 अगस्त में जारी सूचना के अनुसार एक विशेष टीम गठित की गयी है, जो रजिस्ट्री से पहले जमीन की भौगोलिक स्थिति और दस्तावेजों की जांच के लिए मौके पर जायेगी. यह नया नियम हेराफेरी रोकने और राजस्व लक्ष्य हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण है. नये आदेश के तहत बखरी अंचल के 7,गढ़पुरा के 6, नावकोठी के 4 मौजों में रजिस्ट्री से पहले भौतिक सत्यापन अनिवार्य होगा.पहले इन मौजों में रजिस्ट्री वासिका नवीस और मालिक के बयान के आधार पर हो जाती थी. जिससे हेराफेरी की संभावना रहती थी. अब गठित टीम जमीन की प्रकृति जैसे आवासीय या कृषि योग्य का सत्यापन करेगी और निर्धारित स्टांप शुल्क के अनुसार राजस्व तय करेगी. सरकार ने 10 डिसमिल तक की जमीन को आवासीय माना है,लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इससे बड़े रकबे की जमीनें भी आवासीय होने के बावजूद कृषि के रूप में दर्ज की जाती थीं.जिससे राजस्व का नुकसान होता था. यह नई व्यवस्था न केवल राजस्व वृद्धि में सहायक होगी बल्कि जमीन रजिस्ट्री में धोखाधड़ी पर भी अंकुश लगायेगी. वही भौतिक सत्यापन से जमीन की वास्तविक स्थिति का आकलन होगा.जिससे स्टांप शुल्क में पारदर्शिता आयेगी. यह कदम बिहार में डिजिटल और पारदर्शी भूमि प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जो आम लोगों को हेराफेरी से बचाने और सरकारी खजाने को मजबूत करने में मदद करेगा. इधर पत्र जारी होते ही जमीन खरीद बिक्री से जुड़े लोगों,खरीददार,बिक्रिकर्ता एवं स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है. उन लोगों ने इसे बेवजह तंग करने, जमीन सत्यापन के नाम पर अवैध रूप से उगाही करने आदि की एक अच्छा जरिया बनाने की बात कही है.
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