बेगूसराय. कला संस्कृति एवं युवा विभाग ने राज्य की सांस्कृतिक जड़ों को संरक्षित करने और युवा प्रतिभाओं को इस विरासत से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री गुरु- शिष्य परंपरा योजना की शुरुआत की है. जिला युवा कला संस्कृति पदाधिकारी श्याम सहनी ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य केवल कलाओं का संरक्षण ही नहीं, बल्कि कला प्रेमियों को एक सशक्त मंच प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है. साथ ही बिहार राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत तथा दुर्लभ एवं विलुप्तप्राय पारंपरिक लोक एवं शास्त्रीय कलाओं को संरक्षित एवं प्रचारित करते हुए युवाओं को विशेषज्ञ गुरुओं के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्रदान करना है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री गुरु शिष्य परंपरा योजना बिहार सरकार द्वारा कला को नई ऊंचाइयां व कलाकारों को सम्मान देने हेतु दूरदर्शी व महत्वपूर्ण योजना है. श्याम सहनी ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत गुरु की आयु 50 वर्ष या उससे अधिक हो तथा गुरु बिहार का मूल निवासी हो. गुरु को विलुप्तप्राय विधाओं में न्यूनतम 10 वर्षों का अनुभव होना अनिवार्य है. गुरु के पास प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु उसके निवास में उपयुक्त स्थान अथवा पृथक प्रशिक्षण केंद्र की उपलब्धता होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि कला के सभी क्षेत्रों में दो वर्षों तक प्रशिक्षित करने के लिए अनुभवी गुरुओं और युवा शिष्यों के बीच पारंपरिक गुरु शिष्य पद्धति को अपनाया जायेगा. आवेदक द्वारा सभी आवश्यक प्रमाण पत्रों के साथ आवेदन पत्र सांस्कृतिक कार्य निदेशालय में स्पीड पोस्ट अथवा हाथों-हाथ 31 अगस्त 2025 तक जमा करना है. उन्होंने कहा कि जो भी इच्छुक कलाकार गुरु –शिष्य परंपरा के अंतर्गत गुरु शिक्षक बनना चाहते हैं वह अपना आवेदन पत्र एक सप्ताह के अंदर भरकर जमा कर दें. इस योजना के अंतर्गत 2 वर्षों तक चयनित कलाकारों में नियमित प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को हर माह कम से कम 12 दिन अनिवार्य रूप से उपस्थित रहना होगा. इस योजना के तहत प्रत्येक गुरु को 15000 प्रतिमाह, संगतकार को 7500 प्रतिमाह और हर शिष्य को 3000 प्रतिमाह की वित्तीय सहायता दी जायेगी. इस योजना के अंतर्गत कुल 20 गुरुओं, 20 संगतकारों और 160 शिष्यों का चयन किया जाना है. जिन्हें 2 वर्षों तक प्रोत्साहन राशि प्राप्त होगी. यह सहायता राशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जयेगी. जिला युवा कला संस्कृति पदाधिकारी ने बताया कि यह योजना न सिर्फ सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का माध्यम बनेगी बल्कि ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों की छुपी हुई प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करेगी. प्रशिक्षण की समाप्ति पर भव्य दीक्षांत समारोह का आयोजन होगा. जिसमें प्रशिक्षु अपने कला का प्रदर्शन करेंगे और उन्हें सम्मानित भी किया जायेगा. जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी ने बताया कि बिहार सरकार एवं कला संस्कृति विभाग कलाकारों पर विशेष ध्यान दे रही है. इसके तहत कलाकारों के लिए बिहार कलाकार पंजीकरण पोर्टल पर पंजीकरण कराया जा रहा है. इसके साथ मुख्यमंत्री कलाकार पेंशन योजना हेतु आवेदन किया जा रहा है एवं 50 वर्ष से अधिक उम्र के कलाकार पेंशन योजना का लाभ लेने हेतु कार्यालय में आकर आवेदन कर सकते हैं.
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