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बलिया के दियारा क्षेत्र की सभी सड़कों पर चढ़ा गंगा का पानी

बलिया दियारा क्षेत्र में गंगा का अब रौद्र रूप दिखाने लगा है.

बलिया. बलिया दियारा क्षेत्र में गंगा का अब रौद्र रूप दिखाने लगा है. विकराल स्वरूप धारण कर चुकी गंगा सनहा-गोदरगामा बांध से दक्षिण जल प्रलय की अपनी क्रूर लीला दिखा रही है. जिन सड़कों पर एक सप्ताह पूर्व गाड़ियां चलती थी. आज उन सड़कों पर बड़ी-बड़ी नावें चल रही है. दियारा क्षेत्र के गांव बाढ़ के पानी में टापू में तब्दील हो गया है. हर तरफ पानी ही पानी देखने को मिल रहा है. इस बार पानी के बीच दियारा क्षेत्र के लोगों की व्यथा ना तो स्थानीय प्रशासन देखने पहुंच रही है. और ना ही जनप्रतिनिधि ही बाढ़ पीडि़तों की सुधि लेने पहुंच रहे हैं. व्याकुल बाढ़ पीड़ित किसी तरह बाढ़ के पानी के बीच रहने को विवस हैं. जिनके घर डूब गये वे पड़ोसियों के घर में शरण लिये हुये हैं. चौकी (विस्तर) पर चूल्हा रख खाना बनाने को मजबूर हैं. उस पर गुरुवार की रात से हो रही बारिश से जलावन भी भीग जाने के कारण अब खाना बनाने की भी दिक्कते होने लगी है. बाढ़ पीड़ितों के द्वारा अब सुखा राशन एवं कम्युनिटी किचन चलाने की भी मांग की जाने लगी है. प्रखंड प्रमुख ममता देवी, ताजपुर पंचायत के मुखिया शिवनंदन कुमार, भवानंदपुर मुखिया हीरा देवी, पंसस परमानंद चौधरी, सुभाष राय ने स्थानीय प्रशासन से बाढ़ पीड़ितों के लिये गांवों में सूखा राशन के साथ कम्युनिटी किचन चलाने की मांग की है. बाढ़ की भयावहता को देखते हुये अब लोग गांवों से पलायन भी कर रहे हैं. शुक्रवार को भवानंदपुर पंचायत के टिटहियां टोला के दर्जनों पशुपालक किसान अपने पशुओं के साथ पलायन कर चुके हैं. आलम यह है कि दियारा क्षेत्र से आने वाली सभी नावें लबालब भरी हुई आती है. जो खतरे से खाली नहीं है. इस पर स्थानीय प्रशासन को सजग रहने की जरूरत है. नहीं तो कभी भी बड़ी घटना से नकारा नहीं जा सकता है. इन दिनों दियारा क्षेत्र की 70 हजार से अधिक की आबादी पर बाढ़ का संकट आफत बनकर आई हुई है.

बांध पर शरण लिये दर्जनों पशुपालक किसानों को नहीं मिल रही सुविधा

सनहा-गोदरगामा बांध पर शरण लिये हुये दर्जनों पशुपालक किसानों को किसी भी तरह की सरकारी सुविधा नहीं मिल पा रही है. बेवस पशुपालक किसान किसी तरह सुखा अनाज खाकर समय बीता रहे हैं. जबकि उन्हें पीने के लिये भी शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पा रही है बारिश होने के कारण लोगों को सर छुपाने के लिए पानी की भी व्यवस्था नहीं होने से बारिश में ही रहने को मजबूर हैं. जबकि रोशनी की भी व्यवस्था नहीं होने से पशुपालक किसान अंधेरे में रहने को विवस है.

पकुआ जैसी बीमारी से लोग हो रहे हैं ग्रसित

बाढ़ पीड़ितों अब पकुआ जैसी बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं. जिसके लिये स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभी तक स्वास्थ्य कैंप नहीं लगाये जाने से लोगों को दवा उपलब्ध नहीं हो रही है. जिससे लोग भारी परेशानी में है. जिसमें खास कर पशुपालक किसानों को हमेशा पानी एवं कीचड़ में जाने को मजबूर होना पड़ता है. जिससे उन लोगों में पकुआ की बीमारी ज्यादा फैल रही है.

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