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पाछू साल से ई बेर बड महग मिलैय ये सामान

पाछू साल से ई बेर बड महग मिलैय ये सामान तसवीर-16-सिमरिया गंगा घाट में फूटपाथ पर सब्जी बेचती महिलातसवीर-24,-कल्पवासियों का पर्णकुटीर कल्पवास मेला क्षेत्र में नहीं निर्धारित है मूल्य तालिकाबेगूसराय (नगर). कि कहू बाउ इे बेर मास मेला में पाछू साल से बड महंग सामान भेंट रहल ये. दाम पर कूनो नियंत्रण नैय अछि. हाकिम […]

पाछू साल से ई बेर बड महग मिलैय ये सामान तसवीर-16-सिमरिया गंगा घाट में फूटपाथ पर सब्जी बेचती महिलातसवीर-24,-कल्पवासियों का पर्णकुटीर कल्पवास मेला क्षेत्र में नहीं निर्धारित है मूल्य तालिकाबेगूसराय (नगर). कि कहू बाउ इे बेर मास मेला में पाछू साल से बड महंग सामान भेंट रहल ये. दाम पर कूनो नियंत्रण नैय अछि. हाकिम लोग आबै छैथ लेकिन महंग सामान की तरफ हुन कर ध्यान नैय जाय छैन. यह कहना था सिमरिया कल्पवास मेले में गंगा सेवन कर रही दरभंगा की भवानी देवी, रामज्योति देवी का. उक्त कल्पवासी कहती हैं कि कल्पवास मेले की बड़ी ही अहमियत है. इस मेले में कल्पवासियों को तमाम सुविधा मिले इसके लिए शासन और प्रशासन को ठोस पहल करने की जरूरत है. इनके साथ ही अररिया की अमला देवी व मधुबनी की अमरिका देवी भी इसी महंगाई के सुर-सुर मिला रही है. विगत 10 वर्षों से कल्पवास के लिए आ रही भवानी देवी कहती हैं कि अबरी त मिटिया तेल भी नैय भेटेय ये. मेले में 60 टका में एक लीटर मिटिया तेल खरीद कर काम चला रहल छी. मामला साफ है कि कल्पवास मेला क्षेत्र में हर चीज का दाम महंगाई के चरम पर है. जिस दुकान या जिस ठेले पर लगे सामान का आप दाम पूछेंगे आप भौंचक रह जायेंगे. चूड़ा प्रति किलो 32 रुपये, चीनी प्रति किलो 40 रुपये, दूध 40 रुपये प्रति लीटर, केरोसिन 60 रुपये प्रति लीटर, आलू 15 रुपये प्रति किलो, गोभी 25 से 30 रुपये प्रति किलो, जलावन चार सौ रुपये प्रति 40 केजी मिल रहा है. इस स्थिति में कल्पवासियों का कहना है कि इस महंगाई के दौर में आखिर कैसे कल्पवास और गंगा मइया की भक्ति हो पायेगी. घाट पर मिलनेवाला हर सामान में 20 से 25 प्रतिशत कीमत में इजाफा है. घनश्यामपुर दरभंगा के जीवानंद झा गत कई वर्षों से कल्पवास के लिए आ रहे हैं. लेकिन इस वर्ष केरोसिन नहीं मिलने से काफी दु:खी हैं. इधर जब सामान बेच रहे दुकानदार से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि कल्पवास मेला क्षेत्र में दुकान लगाने पर इसका मासिक भाड़ा 25 से 30 हजार रुपया लिया जाता है. फुटपाथ पर सब्जी बेच रही मीना देवी ने बताया कि प्रतिदिन स्थानीय ठेकेदारों के द्वारा सौ रुपये वसूल किये जाते हैं. ऐसी स्थिति में सामान की कीमत में वृद्धि तय है. ज्ञात हो कि सिमरिया गंगा घाट की प्रतिवर्ष संविदा निकाली जाती है. जो अब लगभग एक करोड़ के आस-पास आ पहुंची है. ऐसी स्थिति में संवेदक के द्वारा मनमाना वसूल किया जाता है. पूरे मेला क्षेत्र में किसी भी सामान की कीमत का मूल्य तालिका निर्धारित नहीं है. नतीजा है कि कल्पवासियों के लिए गंगा की भक्ति और कल्पवास करना दिन-प्रतिदिन महंगा साबित होता जा रहा है.

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