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मानक ताक पर रख खुल रहे निजी क्लिनिक

अनदेखी. जिले में मात्र दो निजी क्लिनिक ही तत्काल रजिस्ट्रेशन के दायरे में हैं बेगूसराय : जिले में मानकों को ताक पर रखकर खुल रहे निजी क्लिनिक मरीजों के लिए घातक साबित हो रहे हैं. जिले में संचालित कई निजी क्लिनिक मानकों को ताक पर रख कर खोली गयी है. साथ ही धड़ल्ले से कई […]

अनदेखी. जिले में मात्र दो निजी क्लिनिक ही तत्काल रजिस्ट्रेशन के दायरे में हैं

बेगूसराय : जिले में मानकों को ताक पर रखकर खुल रहे निजी क्लिनिक मरीजों के लिए घातक साबित हो रहे हैं. जिले में संचालित कई निजी क्लिनिक मानकों को ताक पर रख कर खोली गयी है. साथ ही धड़ल्ले से कई निजी क्लिनिकों का निर्माण जारी है. स्थानीय प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं रहने के कारण जिले में संचालित निजी क्लिनिकों के द्वारा मरीजों को लूटने का सिलसिला लगातार जारी है. जिले में संचालित निजी क्लिनिक में सरकार का हस्तेक्षप नहीं होने के कारण निजी क्लिनिक संचालकों की मनमानी जारी है.
सैकड़ों निजी क्लिनिकों में मात्र दो पंजीकृत :जिले में खोले जा रहे निजी क्लिनिक बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित किये जा रहे हैं. नेशनल हाइवे पर संचालित कई निजी अस्पताल बिना रजिस्ट्रेशन के चलाये जा रहे हैं. जब सिविल सर्जन से निजी क्लिनिक के रजिस्ट्रेशन के बारे में जानकारी ली गयी तो उन्होंने बताया कि जिले में मात्र दो निजी क्लिनिक ही तत्काल रजिस्ट्रेशन के दायरे में हैं यानि मात्र दो निजी क्लिनिकों ने रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई किया है.
निजी क्लिनिक के सामने नहीं है पार्किंग की व्यवस्था:शहर के मेन रोड, गली- मोहल्ले में निजी क्लिनिक तो संचालकों के द्वारा तैयार कर ली गयी है लेकिन उन अधिकांश निजी अस्पतालों के समीप पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गयी है. इस वजह से निजी क्लीनिकों में पहुंचने वाले मरीज अपना वाहन सड़क पर ही लगाकर निकल जाते हैं. निजी क्लिनिकों में पार्किंग नहीं रहने के कारण आये दिन सड़क पर जाम की स्थिति बनी रहती है.
मरीजों की जान से खिलवाड़, कर रहे हैं आर्थिक शोषण
पायोजनिक मेनिनजािइटस बीमारी से पीड़ित एक बच्ची की जिंदगी से खिलवाड़ कर परिजनों से 70 हजार रुपये की वसूली निजी क्लिनिक के द्वारा की गयी. मामला बलिया थाना क्षेत्र के पहाड़पुर तुलसी टोला के रहने वाले कृष्णा तांती की बेटी श्वेता कुमारी की है. श्वेता पिछले 3 दिसंबर को बीमार हुई. इसके बाद परिजनों ने गांव में ही इसका इलाज कराया लेकिन बुखार ठीक नहीं होने पर इसे बेगूसराय के एक निजी क्लिनिक में लाकर भर्ती कराया.निजी क्लिनिक के डॉक्टरों ने मरीज को डेंगू से पीडि़त कहकर आईसीयू में भर्ती किया. तकरीबन आठ दिन आईसीयू में रखने के बाद जब बच्चे की स्थिति नहीं सुधरी तो परिजनों ने बच्ची का इलाज कर रहे डॉक्टर कृष्ण कुमार से मिलने की बात कही. इस बात को सुनकर वहां कार्यरत कर्मचारियों ने डॉक्टर के आने के विषय में सुबह शाम का बहाना बनाया.जब परिजनों ने पता लगाया तो क्लिनिक में डॉक्टर कृष्णा कुमार नाम के कोई चिकित्सक जाते ही नहीं थे. परिजनों ने बच्ची की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए नर्सिंग होम से बच्ची को निकाल कर सदर अस्पताल में भर्ती कराया. इस बात से आक्रोशित स्थानीय लोग जहां जांच की मांग कर रहे हैं वही फर्जी तरीके से चलाये जा रहे ऐसे नर्सिंग होम पर कानूनी कार्रवाई करने की भी मांग कर रहे हैं.
क्या कहते हैं सीएस
जिले में संचालित सैकड़ों क्लिनिकों में मात्र दो निजी क्लिनिक ही तत्काल रजिस्टर्ड हैं. क्लिनिकल एक्ट को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इसी वजह से निजी क्लिनिकों के द्वारा रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन प्राप्त नहीं हो सका है.
डॉ हरिनारायण सिंह,सिविल सर्जन,बेगूसराय
क्या कहते हैं लोग
निजी नर्सिंग क्लिनिक का निबंधन आवश्यक है. मान्यता प्राप्त संस्थान से डिग्री प्राप्त कर्मचारी कंपाउंडर का भी होना आवश्यक है.अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक का नाम बोर्ड पर अंकित रहना चाहिए,ताकि क्लिनिक में भर्ती मरीज को पता चल सके की उनका इलाज किस डॉक्टर के द्वारा किया जा रहा है.
सौरभ कुमार ,सामाजिक कार्यकर्ता
बिहार में कुछ फर्जी नर्सिंग होम और फर्जी जांच घर के द्वारा मरीजों का आर्थिक शोषण बदस्तूर जारी है. इनके ऊपर कार्रवाई करने की जरूरत है. क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 2013 को जान-बूझकर ठंडे बस्ते में रखा गया है.ताकि निजी क्लिनिक को इसका फायदा मिल सके.
समीर चौहान,युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष
क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2013 के प्रावधान के तहत निजी क्लिनिक का निबंधन आवश्यक है. स्टाफ का ड्रेस में रहना, मान्यता प्राप्त संस्थान से उचित डिग्री का रहना, एनेस्थीसिया,फिजिशियन एवं सर्जन का रहना अनिवार्य हैं . डॉक्टर इस निबंधन का विरोध करते हैं क्योंकि कोई भी नर्सिंग होम उक्त मापदंड को पूरा नहीं करते हैं
अभिषेक जायसवाल,संगठन सचिव ,आम आदमी पार्टी

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