बरौनी (नगर) : पूर्णिमा के साथ ही हरिगिरिधाम गढ़पुरा के श्रावणी मेले का समापन हो गया. इसी के साथ एक महीना तक सिमरिया से गढ़पुरा तक उमड़ने वाला केसरिया सैलाब थम गया. मेला के सफल आयोजन पर प्रशासन भले अपनी पीठ थपथपा रहा हो, लेकिन वहीं मेला अपने पीछे छोड़ गया है सिमरिया घाट पर […]
बरौनी (नगर) : पूर्णिमा के साथ ही हरिगिरिधाम गढ़पुरा के श्रावणी मेले का समापन हो गया. इसी के साथ एक महीना तक सिमरिया से गढ़पुरा तक उमड़ने वाला केसरिया सैलाब थम गया. मेला के सफल आयोजन पर प्रशासन भले अपनी पीठ थपथपा रहा हो, लेकिन वहीं मेला अपने पीछे छोड़ गया है सिमरिया घाट पर कुव्यवस्था की कहानी.
जिसके कारण जल भरने आये हजारों श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ा. विदित हो कि पूरे सावन माह में सिमरिया गंगा घाट पर कांवरियों की भारी भीड़ जुटी. पूरे माह हजारों की संख्या में कांवरिया व डाकबम जल भरकर हरिगिरिधाम गढ़पुरा एवं लखीसराय के अशोकधाम के लिए रवाना हुए. लेकिन जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण उन्हें भारी कुव्यवस्था के बीच ही गंगा में डुबकी लगाने तथा गंगा जल भरने के लिए विवश होना पड़ा.
गंगाघाट पर पसरा रहा गंदगी का ढेर :सावन माह में जहां साफ-सफाई, पूजा-पाठ तथा जल लेकर चलने के दौरान कांवरिया विशेष सावधानी बरतते हैं, वहीं सिमरिया गंगाघाट में पसरी गंदगी के बीच गंगा स्नान और गंगा जल भरने को विवश दिखे. जहां सरकार सूबे को खुले में शौच से मुक्ति अभियान पर करोड़ों खर्च कर रही है वहीं जिला प्रशासन की अनदेखी से सिमरिया में लोगों को खुले में शौच करने को विवश होना पड़ा. पगला बाबा आश्रम के समीप जलजमाव व कीचड़ के बीच से गुजरने को विवश हुए कांवरिये.
प्रशासनिक व्यवस्था जीरो:जिला प्रशासन के द्वारा पूरे माह तक कोई व्यवस्था नहीं किया जाना उसकी लापरवाही को दरसाता है. व्यवस्था के नाम पर दुर्गंध युक्त स्थान पर एक पंडाल जो खुद अपनी लाज बचाने में असमर्थ था. उसके ही अंदर एक कोने में पूरे माह बरौनी पीएचसी के एक-दो स्वास्थ्यकर्मी कुछ दवा के साथ मौजूद दिखे. इसके अलावा उनके पास कुछ भी नहीं, मरीजों के लिए कोई आपातकालीन व्यवस्था नहीं. यहां तक कि पंडाल के अंदर एक दरी तक भी नहीं बिछी थी.
निर्देश के बावजूद कोई व्यवस्था नहीं :पिछली बार जिलाधिकारी ने स्वयं कई बार सिमरिया घाट का निरीक्षण किया था और सावन में जल भरने पहुंचनेवाले कांवरियों की सुविधा की तैयारियों का जायजा लेकर अतिक्रमित कर बनी दुकानों को व्यवस्थित करने, शौचालय की साफ-सफाई, अस्पताल, सूचना केंद्र, अस्थायी कपड़ा बदलने के लिए चेंजिग रूम सहित अन्य सुविधाओं का निर्देश स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को दिया था. यहां तक कि पूरे श्रावणी माह में किसी भी प्रकार के वाहनों का घाट तक प्रवेश बंद करा दिया था.लेकिन दुर्भाग्य से इस बार जिला प्रशासन की बात तो दूर स्थानीय प्रखंड स्तर के अधिकारी भी सिमरिया देखने तक नहीं आये. जिसके कारण श्रद्धालु सिमरिया घाट में मूलभूत सुविधाओं तक के लिए तरसते रह गये.