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Fish Farming in Bihar: एरेटर से तालाब में ऑक्सीजन की होगी आपूर्ति, बढ़ेगा मछली उत्पादन

Fish Farming in Bihar: एरेटर खरीदने के लिए मुख्यमंत्री तालाब मात्स्यिकी विकास योजना के अंतर्गत दिया जायेगा अनुदान

Fish Farming in Bihar: मत्स्य पालन के क्षेत्र में बांका को तकनीकी रूप दक्ष बनाने के लिए सरकार संकल्पित है. अब तालाब में सघन मछली पालन के दौरान मछलियों को ऑक्सीजन की कमी महसूस नहीं होगी. इसके लिए तालाब में एरेटर स्थापित करने की योजना लायी गयी है. जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री तालाब मात्स्यिकी विकास योजना के अंतर्गत यांत्रिक एरेटर योजना से मत्स्य पालकों को लाभान्वित किया जायेगा. इस योजना के तहत जिले में सभी वर्गों के लिए अलग-अलग अनुदान की दर तय की गयी है.

जानकारी के मुताबिक, एरेटर यंत्र में मुख्य रूप से चार पैडल लगे रहते हैं. यह यंत्र विद्युत चालित है. इसके संचालन से पानी में हलचल पैदा होती रहती है. पानी चालित अस्थिर अवस्था में रहता है. इस वजह से मछलियों को पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त होता है. खासकर सघन मछली उत्पादन वाले तालाब में इसकी उपयोगिता काफी अधिक होती है. इससे मछली उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की जाती है. जिले में इस योजना के तहत सात एरेटर मत्स्य पालकों को अनुदानित दर पर दिया जायेगा. मुख्यमंत्री तालाब मात्स्यिकी विकास योजना अंतर्गत एरेटर के साथ ही उन्नत इनपुट, उन्नत बीज उत्पादन, ट्यूबेल, पंपसेट के साथ हैचरी इनपुट के लिए सहायता की राशि दी जायेगी.

Fish Farming in Bihar: 50 से 70 फीसदी मिलेगा अनुदान

एक एरेटर की मूल कीमत करीब 50 हजार रुपये होती है. अन्य वर्ग को इसके क्रय पर 50 प्रतिशत यानी 25 हजार रुपये प्रति लाभुक अनुदान दिया जायेगा. जबकि, अत्यंत पिछड़ा, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति श्रेणी के लाभुकों को 70 फीसदी अनुदान दिया जायेगा. इस प्रकार इन श्रेणी के लाभुकों को कुल 35 हजार रुपये प्रति एरेटर यंत्र क्रय पर अनुदान दिया जायेगा. इस योजना के तहत अन्य वर्ग के एक, अत्यंत पिछड़ा, अनुसूचित जाति व जनजाति को दो-दो यानी कुल 07 एरेटर का लाभ जिले के विभिन्न श्रेणी के लाभुकों को दिया जायेगा.

Fish Farming in Bihar: विभाग के पोर्टल पर करें ऑनलाइन आवेदन

मुख्यमंत्री तालाब मात्स्यिकी विकास योजना का लाभ लेने के लिए आवेदकों को विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. इस योजना के तहत एरेटर का लाभ भी लाभुकों को प्रदान किया जायेगा. यह मछली उत्पादन को विकसित करता है. मछलियों को पर्याप्त ऑक्सीजन देता है. सुरक्षा के दृष्टिकोण से उच्च क्वालिटी का एरेटर ही लगाना चाहिए. साथ ही इसका संचालन भी सावधानी पूर्वक करने की आवश्यकता है. इसके अलावा उन्नत इनपुट, उन्नत बीज उत्पादन, ट्यूबेल, पंपसेट के साथ हैचरी इनपुट के लिए सहायता अनुदान की राशि दी जानी है. जिले के किसान और मत्स्य पालक को तय नियम के अनुसार इसका लाभ प्रदान किया जायेगा.

Prabhat Khabar News Desk
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