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पीएम आवास योजना नहीं पकड़ रही रफ्तार, 50 फीसदी भी लक्ष्य पूर्ण नहीं

बांका : प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के लिए बनने वाले मकान की रफ्तार काफी सुस्त पड़ गयी है. आलम यह है कि लक्ष्य के विपरीत 50 फीसदी भी कार्य पूर्ण नहीं हुआ है. अलबत्ता, समय पर आवास निर्माण की रणनीति यहां दम तोड़ती नजर आती है. जानकारी के मुताबिक पीछले कई वित्तीय वर्ष […]

बांका : प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के लिए बनने वाले मकान की रफ्तार काफी सुस्त पड़ गयी है. आलम यह है कि लक्ष्य के विपरीत 50 फीसदी भी कार्य पूर्ण नहीं हुआ है. अलबत्ता, समय पर आवास निर्माण की रणनीति यहां दम तोड़ती नजर आती है.

जानकारी के मुताबिक पीछले कई वित्तीय वर्ष से लक्ष्य पूर्ण नहीं हुआ है. साथ ही प्रति वर्ष नये लक्ष्य भी भेजे जा रहे हैं. रिपोर्ट को देखें तो प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी व आवास सहायक की लापरवाही साफ दिखती है. हालांकि, बड़ी संख्या में ऐसे भी लाभुक हैं जो राशि लेकर घर नहीं बना रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार तीन वर्षों में 71 हजार 155 आवास निर्माण का लक्ष्य मिला है. जिसमें विभाग द्वारा 67263 आवास का निबंधन किया गया है. जबकि योजना के तहत तीन वर्षों में मात्र 23 हजार 512 आवास ही पूर्ण हो पाया है. ऐसे में यहां प्रधानमंत्री आवास का सही समय पर निर्माण होना प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है.

कहते हैं अधिकारी
प्रधानमंत्री आवास योजना में लक्ष्य के अनुरूप कार्य को पूरा करने का निर्देश दिया गया है. कई चरण के कार्य को पूरा भी कर लिया गया है. वहीं लाभुकों को जल्द ही आवास निर्माण का कार्य पूरा करने का निर्देश दिया गया है.
रवि प्रकाश, डीडीसी बांका
योजना में बिचौलियों का बोलबाला
प्रधानमंत्री आवास योजना की रफ्तार कम होने का एक प्रमुख कारण बिचौलिया तंत्र भी है. ऑनलाइन व्यवस्था होने के बावजूद बिचौलिया सक्रिय हैं. लाभुकों की मानें तो बिना बिचौलिया के किसी भी लाभुक को आवास योजना का लाभ नहीं मिलता है. ग्राम स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक इसमें बिचौलिया का बोलबाला है. पीएम आवास योजना के तहत बिना चढ़ावा के लाभुकों को दर- दर की ठोकरें खानी पड़ती है.
कई लाभुकों ने नाम न छपने के शर्त पर बताया कि इस योजना में आवास सहायक बिना पैसे लिये फाइल आगे नहीं बढ़ाते हैं. पैसे की उगाही के लिए आवास सहायक गांव के ही एक-एक व्यक्ति को बिचौलिया के रूप में तैयार करते हैं, जिसमें उक्त व्यक्ति द्वारा कहा जाता है कि बिना पैसा का कुछ नहीं होता है. सूत्रों की मानें तो आवास सहायक एक-एक लाभुक से 15 से 20 हजार रुपया वसूलते हैं.

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