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लाठीधारी पुलिस संभाल रहे शहर की पूरी ट्रैफिक व्यवस्था

बांका : जिला का 27 साल का सफर पूरा हो चुका है. बावजूद यहां की ट्रैफिक व्यवस्था के नाम पर महज एक खानापूर्ति ही है. शहर के गांधी चौक, शिवाजी चौक व विजयनगर चौक पर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए लाठीधारी पुलिस के अलावा कुछ भी नही है. शेष अन्य चौक पर की यातायात व्यवस्था भगवान […]

बांका : जिला का 27 साल का सफर पूरा हो चुका है. बावजूद यहां की ट्रैफिक व्यवस्था के नाम पर महज एक खानापूर्ति ही है. शहर के गांधी चौक, शिवाजी चौक व विजयनगर चौक पर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए लाठीधारी पुलिस के अलावा कुछ भी नही है. शेष अन्य चौक पर की यातायात व्यवस्था भगवान भरोसे है. ट्रैफिक सुविधा के नाम पर न तो यहां कोई रेल सिग्नल है,

ट्रैफिक पुलिस के पास लाठी के अलावा न तो काई वाहन जांच या फिर शराब पीकर चलाने वाले चालकों की जांच के लिए कोई जांच मशीन मौजूद है. हालांकि साइलेंस जोन में कोर्ट परिसर, डीएम व एसपी आवास , समाहरणालय व न्यायाधीश आवासीय परिसर माना जाता है. लेकिन इन स्थानों पर न तो कोई साइलेंस जोन का कोई बोर्ड लगा हुआ है. और न ही इसका प्रतिपालन होता है. ऐसे में इन जगहों पर भी तेज गति व ध्वनि के साथ वाहनों की आवाजाही जैसे-तैसे हो रही है.

ट्रैफिक नियमों की उड़ती है धज्जियां. शहर में गांधी चौंक छोड़कर सभी जगहों पर ट्रैफिक नियमों की रोज धज्जी उड रही है. दोपहिया व चार पहिया वाहन ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते हैं. शहर में निमुछिया वाहन चालक रोज ही ऑटो रिक्सा व छोटी वाहन बेधडक चलाते देखे जा रहे हैं. हेलमेट शायद ही कोई वाहन चालक इस्तेमाल करते हैं. भीड भाड वाले डोकानियां मार्केट व शास्त्री चौंक पर यदा-कदा ट्रैफिक पुलिस नजर आती है. जो सिर्फ जाम को नियंत्रित करने का कोशिश करते हैं.
खास यह भी कि इन ट्रैफिक पुलिसों के पास ट्रैफिक की वर्दी तक नहीं है.
नो इंट्री में भी बड़ी वाहनों की होती है आवाजाही. शहर में सुबह 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक नो इंट्री लगा रहता है, बावजूद यहां इस दौरान यदाकदा बड़ी वाहनों का भी आवाजाही होती रहती है. रात्रि के 10 बजे के आधा घंटा पूर्व ही शहर के सड़कों पर बेलगाम वाहन मौत बनकर दौड़ने लगती है.
हाजत में चल रहा है ट्रैफिक थाना. सदर थाना के पूराने भवन स्थित हाजत में ट्रैफिक थाना का संचालन हो रहा है. ट्रैफिक थाना में सुविधा के नाम पर कुल मिलाकर एक थानाध्यक्ष, एक मुंशी, एक सिपाही, एक वाहन व एक चालक मौजूद है. इनके भरोसे ही शहर की ट्रैफिक व्यवस्था की जिम्मेदारी है. वाहन प्रदूषण जांच की सरकारी सुविधा नही है.
प्रदुषण जांच के लिए शहर के जगतपुर पेट्रोल पंप, डोकानियां पेट्रोल पंप के समीप व ढाकामोड़ पेट्रोल पंप पर नीजी लोगों के द्वारा लाइसेंस लेकर जांच केंद्र खोला गया है. शराब पीकर वाहन चलाने वाले लोगों के अल्कोहल जांच के लिए यातायात पुलिस को पास माउथ एनेलाइजर नही है. इनके द्वारा पकड़ाये हुये शराबी को सदर अस्पताल भेज कर जांच करायी जाती है. ट्रैफिक नियमों का अनुपालन यहां महज एक खानापूर्ति है. इसका मुख्य वजह यातायात संचालन के लिए पुलिस कर्मियों की कमी है.
महज चार लोगों के भरोसे ही यातायात की पूरी व्यवस्था शहर में संचालित हो रही है. हालांकि इंटर व मैट्रिक परीक्षा के परीक्षार्थियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अलग से विभाग के द्वारा 19 पुलिस कर्मियों की तैनाती की गयी है. लेकिन इन पुलिस कर्मियों का स्थायी पदस्थापन यातायात के लिए नही है.
यातायात प्रभारी बोले नहीं है जाम समस्या
शहर में जाम की कोई समस्या नहीं है. यहां की यातायात व्यवस्था बेहतर है. कभी कभार सड़क किनारे लगी दुकानों के कारण मामूली जाम लगती है. इसके लिए शहर के शिवाजी चौक, गांधी चौक आदि जगहों पर पुलिस बलों की तैनाती की गयी है.
जयप्रकाश यादव, यातायात थाना प्रभारी, बांका

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