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फसल वाले खेतों में खरपतवार उगने से उपज होती है प्रभावित : डॉ चौबे

ओर गांव में फसल संगोष्ठी के तहत खेतिहरों को कृषि की नयी तकनीक की दी गयी जानकारी, यूरिया के अधिक इस्तेमाल से रोग व कीट का बढ़ता है प्रकोप

ओर गांव में फसल संगोष्ठी के तहत खेतिहरों को कृषि की नयी तकनीक की दी गयी जानकारी यूरिया के अधिक इस्तेमाल से रोग व कीट का बढ़ता है प्रकोप कुटुंबा. किसी भी राज्य व राष्ट्र के विकास में उन्नत कृषि की भूमिका अहम होती है. ये बातें मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने कही. वे सोमवार को प्रखंड क्षेत्र के ओर गांव में आयोजित फसल संगोष्ठी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कृषक वर्ग समाज के लिए अन्नदाता होते है. वे अपनी कठिन परिश्रम सें फसल उपजा कर देश दुनिया को आहार उपलब्ध कराते है. इधर, सरकार किसानों के उत्थान के लिए कल्याणकारी योजनाएं चला रही है. किसानो को इसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए. इसके बावजूद जानकारी के अभाव में किसान योजना के लाभ से वंचित रह जाते है. उन्होंने खेती में आने वाली समस्याओं एवं उसके निदान के बारे में बताया. खरीफ फसल में किसानों को नयी तकनीक से खेती करनी चाहिए. अब परंपरागत खेती घाटे का सौदा बन गयी है. रसायनिक उर्वरक के अधिक प्रयोग करने से पौधे में रोग व कीट व्याधि का प्रकोप अधिक होने की आशंका बनी रहती है. यही नहीं फसल लगे खेतों में खरपतवार उगने से भी उपज प्रभावित होती है. खरपतवार नियंत्रण और विभिन्न कीट व्याधियों व रोगों से निदान के लिए बिहार राज्य की अग्रणी कीटनाशक और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स या माइक्रोक्लोर का प्रयोग करने को सुझाव दिया. मौसम वैज्ञानिक ने मुख्य रूप से धान के खेती के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए धान का बिचड़ा गिराने का उसे उखाड़कर रोपनी करने का समय, कादो में संतुलित मात्रा में पोषक तत्व का प्रयोग,खरपतवार का प्रबंधन, साथ धान के फसल मे लगने वाले किट ब्याधी एवं रोगों के पहचान के लक्षण एवम विभिन्न प्रकार से उनके नियंत्रण के बारे में बताया.कहा कि धान में सल्फर और जिंक उर्वरक के प्रयोग फसल के लिए लाभदायक है. इस दौरान महाबीर बजरंग केमिकल्स के मैनेजर विकास कुमार पांडेय व हिमांशु कुमार ने विभिन्न तरह के रसायनिक कीटनाशी दवाओं के फसल पर प्रयोग करने लाभ व नुकसान के बारे बताया. नकली दवाओं के प्रयोग से किसान का पैसा बेकार चला जाता है. इसके लिए खेतिहर को कृषि विशेषज्ञ से संपर्क स्थापित करना चाहिए. कार्यक्रम में सब्जी, तेलहनी, दलहनी से लेकर मोटा अनाज में संतुलित मात्र में रसायनिक उर्वरक प्रयोग करने की जानकारी दी गयी. इधर, मिथिलेश सिंह, विजय सिंह, अशोक कुमार, रामाश्रय सिंह आदि किसानों खेती के दौरान उत्पन्न हो रही समस्याओं के बारे में जानने का प्रयास किया. अधिकारियो ने बारी-बारी से किसानों की बात सुनी और उसके निदान के बारे में विस्तार पूर्वक बताया. मौके पर आसपास गांव के दर्जनों किसान मौजूद थे.

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