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समय पर विधानसभा चुनाव होने से निर्वाचन विभाग पर बढ़ेगा दबाव, कम समय में तैयारी चुनौतीपूर्ण

शहरकोरोना की चेन तोड़ने के लिए हुए लॉकडाउन का प्रभाव विकास से लेकर विभिन्न क्षेत्रों के कार्यों पर तो पड़ा ही है, अब इससे चुनावी प्रक्रिया भी प्रभावित होने के कगार पर है. अक्टूबर-नवंबर माह में बिहार विधानसभा चुनाव की संभावित तिथि मानी जा रही है.

औरंगाबाद : शहरकोरोना की चेन तोड़ने के लिए हुए लॉकडाउन का प्रभाव विकास से लेकर विभिन्न क्षेत्रों के कार्यों पर तो पड़ा ही है, अब इससे चुनावी प्रक्रिया भी प्रभावित होने के कगार पर है. अक्टूबर-नवंबर माह में बिहार विधानसभा चुनाव की संभावित तिथि मानी जा रही है. ऐसे में चुनाव से संबंधित विभागीय कार्य का श्रीगणेश हो जाना चाहिए था, लेकिन लॉकडाउन के कारण नहीं हो सका. जाहिर है, अब यदि बिहार विधानसभा चुनाव को समय पर ही कराने की घोषणा हुई तो निर्वाचन विभाग पर काफी दबाव बढ़ जायेगा.:

भारत निर्वाचन आयोग के इलेक्शन प्लानर पर गौर करें तो विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए कम से कम छह माह का वक्त आवश्यक होता है. इस दृष्टिकोण से अब चुनाव की तैयारी शुरू हो जानी चाहिए थी. लेकिन, कोरोना ने चुनावी प्रक्रिया पर ब्रेक लगा दिया है. लॉकडाउन के बाद यदि समय (अक्टूबर-नवंबर) पर ही विस चुनाव कराये जाने का ऐलान होता है तो निर्वाचन विभाग को तैयारी के लिए कम समय मिलेगा. छह महीने की जगह लगभग चार से साढ़े चार माह का समय तैयारी के लिए मिल सकता है. इस कम समय में ही तैयारी को अंजाम तक बखूबी पहुंचाना निर्वाचन शाखा के लिए चुनौतीपूर्ण भी होगा. वैसे काम के बोझ को कम करने के लिए जिला स्तर पर कार्य शुरू कर दिया गया है. हालांकि इससे संबंधित आवश्यक निर्देश व मार्गदर्शन वरीय स्तर से प्राप्त नहीं हुआ है. डाटाबेस तैयार करने का यही उचित समयअक्टूबर-नवंबर महीने में चुनाव की संभावित तिथि को देखते हुए भारत निर्वाचन आयोग के इलेक्शन प्लानर के अनुसार तैयारी को गति देने का यही उचित समय है.

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इलेक्शन प्लानर के मुताबिक छह से सात महीने पूर्व डाटाबेस तैयार हो जाना चाहिए. जो जिले में नहीं हो सका है. इसके बाद चुनाव के पांच महीने पूर्व जिला स्तरीय पदाधिकारी से लेकर आरओ, मास्टर ट्रेनर, ट्रेनर आदि को ट्रेनिंग देना अनिवार्य होता है, ताकि चुनाव से संबंधित कार्य बेहतर तरीके से हो सके. उक्त कार्य को करने का यही सही समय है. मगर लॉकडाउन के कारण प्रभावित हो गया. आवंटित नहीं हुई ईवीएम, लॉकडाउन में लाना कठिनजिले को अब तक ईवीएम आवंटित नहीं हो सकी है. संभावित तिथि के अनुसार यह जरूरी था. वैसे भी लॉकडाउन व कोरोना के संक्रमण को देखते हुए दूसरे राज्यों से ईवीएम लाना कठिन के साथ-साथ जोखिमभरा भी है. जोखिम भरा इसलिए कि जिले में ईवीएम आंध्र प्रदेश व गुजरात समेत अन्य राज्यों से लायी जानी है.

उप निर्वाचन पदाधिकारी की मानें तो निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य स्तर पर ईवीएम आवंटित की जाती है और फिर वहां से जिला स्तर पर. ईवीएम ट्रांसफर करने में भी समय लगता है. पहले मोबाइल के माध्यम से इसका स्कैन किया जाता है और फिर उसे ऑनलाइन ट्रांसफर किया जाता है. इस प्रक्रिया के बाद ही ईवीएम लायी जाती है. वर्तमान में लॉकडाउन के कारण ट्रांसर्पोटेशन की भी समस्या है. इलेक्शन प्लानर के अनुसार यह काम भी अब तक हो जाना चाहिए था, मगर वैश्विक संकट के कारण फिलहाल प्रभावित है. जिला स्तर पर चुनाव से संबंधित कार्य शुरूविधानसभा चुनाव या तैयारी से संबंधित अब तक किसी तरह का दिशा निर्देश जिला को प्राप्त नहीं हुआ है. इसके बावजूद अक्टूबर-नवंबर माह में ही चुनाव की संभावित तिथि को ही चुनाव की असली तिथि मानते हुए जिला स्तर पर निर्वाचन शाखा द्वारा एक्सरसाइज शुरू कर दी गयी है.

पूर्व में कार्मिक कोषांग का गठन डाटाबेस तैयार करने के लिये किया गया था. इसी कोषांग द्वारा लोकसभा में बने डाटाबेस का सत्यापन लॉकडाउन के बाद कर लिया जायेगा. यही नहीं ईवीएम कोषांग के गठन की तैयारी की जा रही है. उप निर्वाचन पदाधिकारी जावेद एकबाल की देखरेख में चुनाव से संबंधित अन्य विभागीय कार्य को जिला स्तर पर संपादित किया जा रहा है. इसका फायदा यह होगा कि लॉकडाउन के तुरंत बाद यदि चुनाव की घोषणा भी होती है तो अचानक से काम का बोझ विभाग पर नहीं पड़ेगा. बल्कि इससे कुछ हद तक राहत मिलेगी और सुचारू तरीके से काम निपटाये जायेंगे. क्या है इलेक्शन प्लानरभारत निर्वाचन आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव को लेकर यह इलेक्शन प्लानर तैयार किया गया है. जो जिला निर्वाचन विभाग को उपलब्ध कराया गया है. इसके नाम से यह समझा जा सकता है कि तैयारी प्रारंभ करते हुए चुनाव को बेहतर तरीके से संपन्न कराने की योजना इसमें है.

इस प्लानर में विधानसभा चुनाव से संबंधित विभागीय तैयारी व समय निर्धारित किया गया है. प्लानर में यह दर्शाया गया है कि चुनाव के लिए आवश्यक छह माह में कब और किस समय कौन सी तैयारी करनी है और किस काम को अंजाम देना है. डाटाबेस, ट्रेनिंग, निर्वाचक सूची समेत अन्य प्रक्रिया की जानकारी इसमें दर्ज है और यह भी बताया गया कि चुनाव के कितने पूर्व किसी काम को खत्म कर देना है. जिले में 17.65 लाख वोटर, 1923 बूथजिले में छह विधानसभा हैं. कुल 1923 मतदान केंद्र हैं और मतदाताओं की संख्या 17 लाख 65 हजार है. विधानसभा चुनाव में लगभग इतने ही वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.

गोह विधानसभा के निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी दाउदनगर एसडीओ, ओबरा के दाउदनगर डीसीएलआर, नवीनगर के औरंगाबाद डीसीएलआर, कुटुंबा के एडीएम, औरंगाबाद विधानसभा के एसडीओ सदर तथा रफीगंज विधानसभा के निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी डीडीसी हैं, जो चुनाव में निर्वाची पदाधिकारी के रूप में कार्य करेंगे. निर्देश प्राप्त होते ही तेज की जायेगी तैयारी : जावेदफोटो नंबर-21ए, कैप्शन- उप निर्वाचन पदाधिकारी जावेद एकबालउप निर्वाचन पदाधिकारी जावेद एकबाल ने बताया कि विधानसभा चुनाव या तैयारी शुरू करने से संबंधित वरीय स्तर से कोई दिशा निर्देश प्राप्त हुआ है.

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