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सूही, बलिया व भरौंधा पंचायतों में पैक्स चुनाव को लेकर अंतिम सूची का प्रकाशन कल

प्रारूप मतदाता सूची जारी होने के बाद नये सदस्यों का नाम जोड़ना गैर कानूनन

प्रारूप मतदाता सूची जारी होने के बाद नये सदस्यों का नाम जोड़ना गैर कानूनन

कुटुंबा. प्रखंड क्षेत्र के सूही, बलिया व भरौंधा पंचायतों में पैक्स चुनाव को लेकर 26 दिसंबर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किया जायेगा. निर्वाचन कार्यालय द्वारा इसकी सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है. जानकारी के अनुसार, 13 दिसंबर को प्रारूप मतदाता सूची का प्रकाशन कर दिया गया था. उसी दिन संबंधित पैक्स कार्यालयों के समक्ष भी मतदाता सूची प्रकाशित की गयी थी. इसके बाद 23 दिसंबर तक सदस्यों को मतदाता सूची में त्रुटि सुधार के लिए दावा-आपत्ति दर्ज कराने का समय दिया गया था. हालांकि, इन पैक्सों में चुनाव की तिथि अब तक निर्धारित नहीं की गयी है, इसके बावजूद चुनावी सरगर्मी तेज हो गयी है. विशेष रूप से सूही पंचायत में पैक्स चुनाव को लेकर अटकलें तेज हो गयी हैं.

धान खरीद और उर्वरक वितरण को लेकर पक्षपात का आरोप

सूही पैक्स को लेकर किसानों के बीच असंतोष देखा जा रहा है. आरोप है कि समिति द्वारा धान खरीद में पक्षपात किया जाता रहा है. पैक्स अध्यक्ष के पूरे कार्यकाल में किसी भी किसान को उर्वरक उपलब्ध नहीं कराया गया है. उक्त पंचायत के मुखिया मंजीत कुमार यादव, सरपंच अभिमन्यु कुमार मेहता और अंकित कुमार का कहना है कि सूही पैक्स में बड़े किसानों को जानबूझकर अलग रखा गया है, जबकि भूमिहीन किसानों को तरजीह दी गयी है.

सैकड़ों किसानों के आवेदन खारिज करने का आरोप

देवरिया गांव के करण कुमार और कुंदन कुमार ने आरोप लगाया कि सैकड़ों किसानों ने पैक्स सदस्य बनने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था, जिसे पैक्स अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार द्वारा खारिज कर दिया गया. जानकारी के अनुसार वर्तमान में सूही पैक्स में कुल 2015 सदस्य हैं. इनमें से 100 से अधिक सदस्यों की वर्षों पूर्व मृत्यु हो चुकी है, इसके बावजूद मृत व्यक्तियों के नाम अभी भी मतदाता सूची में दर्ज है. ऐसे में सवाल उठता है कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण की जिम्मेदारी आखिर किसकी है. इस पर संबंधित विभाग के अधिकारियों को गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है.

क्या कहते हैं बीडीओ

बीडीओ प्रियांशु बसु ने बताया कि जिन सदस्यों का नाम प्रारूप मतदाता सूची में शामिल नहीं है, उन्हें बाद में जोड़ा नहीं जायेगा. उन्होंने कहा कि 30 नवंबर तक सदस्यों को रसीद प्राप्त करने की समय-सीमा तय की गयी थी. वहीं 11 दिसंबर तक पैक्स अध्यक्ष को मतदाता सूची का प्रारूप कार्यालय में जमा करना था.

कानूनविद् की राय

हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता अनिरुद्ध वर्मा ने बताया कि प्रारूप मतदाता सूची जारी होने के बाद नए सदस्यों का नाम जोड़ना गैरकानूनी है. यदि बाद में किसी का नाम जोड़ा जाता है तो कोई भी व्यक्ति सक्षम प्राधिकार के समक्ष चुनौती देने के लिए स्वतंत्र है.

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