औरंगाबाद नगर. पुलिस के कुछ पदाधिकारी नियम व कानून को भी ताक पर रख दे रहे है. बीएनएस और पोक्सो एक्ट की जघन्य अपराध की धाराओं में भी लापरवाही बरतने से परहेज नहीं करते है. ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है. अनुसंधनकर्ता ने न मेडिकल जांच करायी और न 183 के अंतर्गत बयान कराया. यही नहीं 24 घंटे के अंदर न्यायालय में प्रस्तुत करने के बजाय कई दिनों तक अपने संरक्षण में रखा. ऐसे में न्यायालय ने मामले को लापरवाही भरी बताया और अनुसंधानकर्ता को शोकॉज किया. किशोर न्याय परिषद औरंगाबाद के प्रधान दंडाधिकारी सह एसीजेएम सुशील प्रसाद सिंह ने दाउदनगर थाना कांड संख्या -238/25 में अनुसंधानकर्ता पुलिस अवर निरीक्षक दाउदनगर कुमकुम कुमारी को शोकॉज किया है. अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि शोकॉज में कहा गया है कि मामला बीएनएस 126(2),115(2),95,3(5) और पोक्सो एक्ट की धारा 04 के अंतर्गत है जो जघन्य अपराध है. कोर्ट ने पूछा है कि पीड़िता का मेडिकल क्यों नहीं कराया गया, पीड़िता का बीएनएस की धारा-183 के अंतर्गत बयान क्यों नहीं कराया गया. थाना किशोर गण को सात अप्रैल 2025 से नौ अप्रैल 2025 तक अपने संरक्षण में क्यों रखा. संबंधित वाद में विचारण संख्या उल्लेखित क्यों नहीं करवाया गया और संबंधित प्रोबेशन अधिकारी को इसकी सूचना क्यों नहीं दी गयी. उक्त उल्लेखित सभी विषय घोर कर्तव्यहीनता और लापरवाही का घोतक है. किशोर न्याय अधिनियम का भी घोर उल्लंघन है. अतः इसका स्पष्टीकरण शिघ्रता से किशोर न्याय परिषद औरंगाबाद में दें. अधिवक्ता ने यह भी बताया कि इस आदेश की प्रतिलिपि पुलिस अधीक्षक औरंगाबाद, पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय वन, पुलिस उपमहानिरीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस महानिदेशक को भेजा गया है.
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