नवीनगर में मेन कैनाल का तटबंध कमजोर, लीकेज की जतायी जा रही संभावना
प्रतिनिधि, औरंगाबाद/कुटुंबाजिले के दक्षिणी क्षेत्र में हजारों एकड़ भूमि सिंचित करने वाली उत्तर कोयल नहर का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है. धान की रोपनी करने के लिए किसान बेसब्री से पानी का इंतजार कर रहे हैं. अब तक किसानों को नहर से पानी नसीब नहीं हुई है. साधन संपन्न किसान मोटर के बदौलत धान की रोपाई शुरू कर दिये है. जिन किसानों के पास अपना कोई साधन नहीं है, वे बदहाल सिंचाई व्यवस्था को कोस कर संतोष कर रहे हैं. बरसात का प्रथम चरण आसाढ़ महीना समाप्त हो गया. आज से सावन शुरू हो गया. धान के फसल लगाने का प्रमुख पुनर्वस नक्षत्र बीत रहा है. किसानों की नर्सरी में 40 दिनों से अधिक के बिचड़े हो गये है. अब तक धनरोपनी शुरू नहीं हुई है.
उत्तर कोयल नहर का रेगुलर संचालन करना विभाग के लिए चुनौती
उत्तर कोयल नहर का रेगुलर संचालन करना विभाग के लिए इस बार चुनौती बना हुआ है. केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत कार्य एजेंसी अपने मनमुताबिक धीमी गति से सीआर गेट लगाने काम कर रही है. समय सीमा के अंदर क्रॉस रेगुलर गेट का अधूरा कार्य पूर्ण नहीं होने से जल संसाधन विभाग को नहर संचालन करने में परेशानी हो रही है. जानकारी के अनुसार, 24 जून को बराज का गेट ऑन कर राइट साइड मेन कैनाल में टेस्टिंग के लिए 300 क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया था. तकरीबन 17 दिन बीतने को है, अभी तक टेस्टिंग पूरी नहीं हुई है. इसकी मुख्य वजह है कि इस बीच नहर का संचालन बंद कर दिया गया था. इसके बाद पुनः पांच जुलाई शनिवार को विधिवत पूजा करके नहर का संचालन शुरू किया गया. रविवार से सोमवार तक 350 क्यूसेक मंगलवार को 450 क्यूसेक तत्पश्चात बुधवार को 1100 क्यूसेक पानी बराज से मुख्य नहर में छोड़ा गया था. नहर के जल प्रवाह तेज होने नवीनगर डिवीजन क्षेत्र में तटबंध लीकेज की संभावना प्रबल हो गयी. ऐसे में मुख्य नहर के तटबंध सुरक्षित रखने के लिए बराज का गेट डाउन कर नहर का डिस्चार्ज कम कर दिया गया.एक सप्ताह बीतने पर भी प्लेटफार्म, स्पिंडल रॉड व हैंडल नहीं लगा
उत्तर कोयल मुख्य नहर में 107 व 124 आरडी के समीप तीन जुलाई को क्रॉस रेगुलेटर गेट लगा दिया गया पर अभी तक कंप्लीट नहीं हैं. एक सप्ताह से अधिक बीतने पर भी वाप्कोस प्लेटफार्म व स्पिंडल रॉड तथा हैंडल नहीं लगाया है.यही नहीं नहर के संचालन के क्रम में 116 व 144 आरडी के आसपास में तटबंध लिकेज करने लग रहा है. स्थानीय अधिकारी बताते है कि लाइनिंग के दौरान अधूरे रह गए तटबंधों में बारिश से कटाव हो रहा है. सुरक्षा के ख्याल से साइड में बोल्डर लगा दिया गया है. संवाद प्रेषण तक बराज से 624 क्यूसेक पानी नहर में डिस्चार्ज किया जा रहा है. इसमें 150 क्यूसेक पानी बिहार भाग में आ रहा है. औरंगाबाद की भूमि की सिंचाई करने के लिए 2000 क्यूसेक से अधिक पानी की जरूरत होती है. इधर, अजीत कुमार, सरपंच संतोष कुमार सिंह, कुश सिंह, सुदर्शन पांडेय, अर्जुन पासवान आदि का कहना है कि वाप्कोस को खेती गृहस्थी व किसानी से दूर-दूर तक कोई मतलब नहीं है. किसानों ने विभाग के साथ जिला प्रशासन, पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह व विधायक राजेश कुमार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए क्षमता के अनुरूप कोयल नहर के अनवरत संचालन करवाने की मांग की है.क्या बताते हैं अफसर
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता अर्जुन प्रसाद सिंह ने बताया कि किसान धैर्य रखें. धान की रोपाई करने के लिए दो-तीन दिनों में नहर से रेगुलर पानी मिलेगा. सीआर गेट कंप्लीट नहीं होने से इस बार दिक्कत हुई है. इसके लिए विभाग प्रयासरत है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

