औरंगाबाद/देव. मीन से मेष राशि में भगवान सूर्य को प्रवेश होने के बाद मनाया जाने वाला प्राकृतिक पर्व सतुआन उत्साह के साथ मनाया गया. मान्यता है कि जब भगवान सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते है, तो उनके किरणों से अमृत बरसता है, जो शरीर के लिए फायदेमंद होता है. वैसे भी यह त्योहार प्राकृतिक से जुड़ा हुआ है. नयी फसल के स्वागत और गर्मी के मौसम के तैयारी के रूप में भी इसे मनाया जाता है. कहा जाता है कि इस समय सत्तू और बेसन की ताजा पैदावार होती है, जो शरीर को ठंडक देने वाले होते है. इस दिन कई खास रीति-रिवाज भी निभाये जाते है. सतुआन पर्व के दिन खासकर सत्तू, कच्चे आम और गुड़ का सेवन किया जाता है. विष्णुपद पाठक ने बताया कि मान्यता है कि भगवान विष्णु ने राजा बली को हराने के बाद सत्तू खाया था. उस दिन से यह परंपरा सत्तुआन के रूप में प्रचलित हो गया. इधर, जिले के लगभग घरों में लोगों ने स्नान व भगवान की पूजा-अर्चना के साथ सत्तू, गुड़ और कच्चे आम का आनंद उठाया. ब्राहमणों के साथ-साथ गरीबों को दान भी किया.
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