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दाउदनगर में बनाया जा रहा मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी व विंड्रो

सूखे कचरे को किया जाएगा अलग-अलग, साफ-सफाई की होगी बेहतर व्यवस्था

सूखे कचरे को किया जाएगा अलग-अलग, साफ-सफाई की होगी बेहतर व्यवस्था

दाउदनगर. नगर पर्षद ने शहर को स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में एक नयी पहल शुरू की है. इसके तहत 10 टन प्रतिदिन कैपेसिटी वाला मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) बनाया जायेगा. साथ ही 15 टन क्षमता वाली टीपीडी का विंड्रो का निर्माण कराया जा रहा है. इस परियोजना में निर्माण, मशीनें लगाने, चालू करने और अगले पांच वर्षों तक उसके संचालन व देखभाल की जिम्मेदारी शामिल है. करीब चार करोड़ 19 लाख रुपये की लागत से बनने वाला यह एमआरएफ व विंड्रो एक विशेष केंद्र होगा, जहां रोजाना आने वाले सूखे कचरे को अलग-अलग हिस्सों में बांटा जायेगा. शहर के वार्ड संख्या 16 में कचरा पिट परिसर में 25471674 रुपये की लागत से सूखा कचरों के प्रसंस्करण के लिए एमआरएफ सेंटर का निर्माण कार्य तथा 16476952 रुपये की लागत से टीपीडी के विंड्रो का निर्माण कराया जा रहा है. इसकी निविदा सहित अन्य आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं. चुनाव का आचार संहिता लागू होने से एक दिन पहले ही मुख्य पार्षद अंजलि कुमारी ने इसका शिलान्यास भी किया है. इस परियोजना का निर्माण हो जाने से प्लास्टिक, कागज, धातु व कांच जैसी चीजें मशीनों की मदद से अलग होंगी. इन उपयोगी सामग्रियों को आगे रिसाइक्लिंग इंडस्ट्री तक भेजा जायेगा, ताकि उनका दोबारा इस्तेमाल हो सके. हालांकि, अभी नगर पर्षद द्वारा सूखे कचरे को अलग-अलग करने का काम सफाई मित्रों के माध्यम से मैनुअल तरीके से कराया जा रहा है.

कचरे का हो सकेगा सही निबटारा

इस प्रक्रिया से न केवल शहर में साफ-सफाई बेहतर होगी, बल्कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कचरे का सही निबटारा भी किया जायेगा. इसके साथ ही इस प्रोजेक्ट से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. इस सुविधा से शहर की गंदगी कम होगी और लोगों को अधिक स्वच्छ वातावरण मिलेगा. शहर को भी स्वच्छ भारत मिशन और स्मार्ट सिटी के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. मुख्य पार्षद ने कहा कि यह योजना स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग सुधारने और लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करेगी.

क्या है एमआरएफ सेंटर का कार्य

मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर एक ऐसी सुविधा है, जो घरों और व्यवसायों से आने वाले कूड़े को अलग करती है. गीले कचरे से खाद बनती है और सूखे कचरे को कई श्रेणियों में बांट कर रिसाइक्लिंग के लिए तैयार करती है. विभिन्न इलाकों से एकत्र किया गया कूड़ा एमआरएफ सेंटर लाया जाता है. यहां गीले और सूखे कचरे को अलग किया जाता है. गीले कचरे से जैविक खाद बनायी जाती है. सूखे कचरे को कागज, प्लास्टिक, धातु, कांच जैसी विभिन्न श्रेणियों में अलग-अलग मशीनों द्वारा छांटा जाता है. अलग किये गये सूखे कचरे को अंतिम खरीदारों को बेचने के लिए तैयार किया जाता है, जिससे उसका पुनर्चक्रण हो सके. इससे कचरे को संसाधित करके पुनर्चक्रण योग्य सामग्री को निकालकर कचरा प्रबंधन में सुधार होता है. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होता है. खाद और पुनर्चक्रण योग्य सामग्री को बेचकर आय अर्जित की जाती है, जिससे नगर निकायों को लाभ होता है. कचरे के ढेर को कम करके और उचित निबटान सुनिश्चित करके पर्यावरण की रक्षा होती है.

रोजगार के मिलेंगे अवसर

इस योजना से युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर भी खुलेंगे. कचरे को छांटने और रिसाइक्लिंग से जुड़ी गतिविधियों में बड़ी संख्या में युवाओं को काम मिलेगा. इससे उनका आर्थिक सहारा मजबूत होगा. वर्तमान में एक सुपरवाइजर सहित 16 सफाई मित्र मैनुअल तरीके से कचरे को अलग-अलग करने के कार्य में लगे हुए हैं. जब एमआरएफ सेंटर की शुरुआत हो जाएगी तो इसमें और संख्या बढ़ानी पड़ेगी, जिससे रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे.

अलग-अलग कचरा देने की अपील

इओ ऋषिकेश अवस्थी ने बताया कि वर्तमान में प्रति सप्ताह एक गाड़ी प्लास्टिक कचरा को अलग कर वैकल्पिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए बंजारी सीमेंट फैक्ट्री को भेजा जा रहा है. एमआरएफ सेंटर और विंड्रो के निर्माण हो जाने से कचरे का सही निबटारा होगा. उन्होंने शहर वासियों से अपील किया कि अपने-अपने घरों से ही गीला और सूखा कचरा अलग-अलग कर दें.

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