औरंगाबाद शहर. इस्कॉन द्वारा रविवार को शहर में रथ यात्रा निकाली गयी. रथ पर विराजमान भगवान जगन्नाथ, बलराम व सुभद्रा देवी के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. यह आयोजन केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं रहा, बल्कि श्रद्धा, संस्कृति और सेवा का प्रतीक बन गया. फार्म एरिया स्थित इस्कॉन मंदिर स्थल से जगन्नाथ यात्रा निकली. धर्मशाला मोड़, महावीर मंदिर मोड़ और रमेश चौक होते हुए एमजी रोड में पहुंची. इस दौरान भगवान के जयकारे से शहर से गुंजायमान रहा. कीर्तन पर लोग झूमते नजर आये. रथ यात्रा से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया. इस्कॉन मंदिर के मीडिया प्रभारी हिमांशु राज ने बताया कि रथयात्रा सनातन धर्म की महान परंपरा है. इसमें भगवान अपने भक्तों के बीच नगर भ्रमण करते हैं, ताकि हर जीव को उनका साक्षात दर्शन और कृपा प्राप्त हो सके. जहां पूरा विश्व धन, धर्म, जाति के बल पर विभाजित होता है वहां भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा सभी को एक साथ एक परिवार के रूप में जोड़ती है. भगवान जगन्नाथ की इस दिव्य रथ यात्रा में न कोई राजा है न कोई रंक है. न कोई ब्राह्मण है न कोई शूद्र. न कोई हिंदू है न कोई मुसलमान, सिख और ईसाई. इस यात्रा में सब भगवान के भक्त हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि रथ पर विराजमान भगवान जगन्नाथ के दर्शन मात्र से मनुष्य जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है. दो दिवसीय कार्यक्रम के बारे में भी जानकारी दी. कहा कि पहले दिन गया इस्कॉन के अध्यक्ष जगदीश श्याम द्वारा भगवान की लीलाओं, पुरी की परंपराओं और रथयात्रा की महिमा का भावपूर्ण वर्णन किया गया. प्रतियोगिताओं में सफल प्रतिभाग हुए सम्मानित विभिन्न प्रतियोगिताएं हुई. चित्रकला, गायन, क्राफ्ट और क्विज प्रतियोगिताओं के प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया. चित्रकला में देवयानी, अनुष्का, श्रेया, शौर्य, रूपा, निहारिका, गायन विधा में देवयानी, दीप्तिशिखा, नविका, सुहानी, क्विज प्रतियोगिता में अमोघ वराह दास, पायल रानी, निशा सिंह, शिप्रा सिंह, रोहित राणा, क्राफ्ट में प्रवाग्या, निशी, सुहानी को सम्मानित किया गया. पुरस्कार वितरण के बाद विशेष संध्या आरती का आयोजन किया गया, जिसमें भगवान की आरती पांचरात्र विधि द्वारा की गयी. 50 से अधिक गांवों से भक्त रथ यात्रा में हुए शामिल रविवार को रथ यात्रा निकलने से पूर्व भक्तों ने एक साथ मंदिर प्रांगण में मंत्र जप किये. उसके बाद जगन्नाथ, सुभद्रा, बलदेव, राधा मदन मोहन गौर निताई जी की दर्शन आरती हुई. दोपहर में जगन्नाथ जी अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजमान हुए उसके बाद नारियल और कपूर से अनुष्ठान करके रथयात्रा प्रारंभ हुई. 35 फुट ऊंचे रथ को रंगीन कपड़ों, लाइटों, फूल से सजाया गया था. साथ ही साथ आम से की गई सजावट भगवान के इस रथ की खूबसूरती को और बढ़ा रही थी. रथ के आगे भक्त सड़क को झाड़ू से साफ कर भगवान के प्रति आस्था प्रकट कर रहे थे. जगह-जगह रंगोली से सड़क को सजाया गया था. 50 से अधिक गांवों से भक्त रथ यात्रा में शामिल हुए. इस्कॉन गया, पटना, डाल्टनगंज, जहानाबाद व पुरी से विशेष भक्तों का आगमन हुआ. रथ यात्रा के बार प्रसाद का वितरण किया गया. आयोजन को सफल बनाने में इस्कॉन मंदिर अध्यक्ष अभय अच्युत और यूथ कॉर्डिनेटर युग नायक की भूमिका रही. राजीव गुप्ता, उदय गुप्ता, ओम प्रकाश, प्रकाश, सुनील, गुड्डन, निपु, अनुज व अरविंद ने भी सहयोग किया.
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