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प्रेम, सादगी और परोपकार में ही ईश्वर का होता है वास : राम प्रपन्नाचार्य

बाल रूप में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं ने मोहा जन-जन का मन

बाल रूप में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं ने मोहा जन-जन का मन गोह. गोह प्रखंड के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध गांव बंदेया में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन की कथा भावविभोर करने वाला था. कथा वाचक श्रीश्री 1008 श्रीराम प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मार्मिक वर्णन किया. उन्होंने बताया कि किस प्रकार बाल गोपाल ने गोकुल में माखन चोरी कर ग्वाल-बालों के साथ आनंद लिया. माता यशोदा ने उन्हें ऊखल से बांधने का प्रयास किया, और कैसे बालकृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध कर गोकुलवासियों को भयमुक्त किया. कथा वाचक ने कृष्ण के बाल स्वरूप को ममता और अलौकिकता का अद्भुत संगम बताया. उन्होंने कहा कि बाल लीलाओं के माध्यम से श्रीकृष्ण यह सिखाते हैं कि प्रेम, सादगी और परोपकार में ही ईश्वरत्व बसता है. कथा यजमान पूर्व विधायक डॉ रणविजय कुमार सिंह ने कहा कि यह आयोजन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का एक सशक्त माध्यम है. उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा की शुरुआत गांव में पहली बार वर्ष 2000 में हुई थी और तब से यह परंपरा लगातार 25 वर्षों से निर्विघ्न रूप से जारी है. आयोजन स्थल पर भजन-कीर्तन और आरती ने माहौल को और भी आध्यात्मिक बना दिया. कथा आयोजन समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रसाद, जलपान, बैठने और वाहन पार्किंग की समुचित व्यवस्था की है. सुरक्षा एवं स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखा गया है. कथा के समापन अवसर पर विशाल हवन-यज्ञ एवं भंडारे का आयोजन किया जायेगा.

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