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सड़क पर बिखरे धूल-कण, दुर्घटना की आशंका

सड़क पर धड़ल्ले से बालू लदे ट्रैक्टर चलते रहते हैं, जिसके डल्ले को भी ढका नहीं जाता

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दाउदनगर. दाउदनगर-बारुण रोड पर जगह-जगह बालू व धूलकण के बिखरे हैं. ऐसा लगता है कि जैसे पक्की सड़क ही बालू के ढेर में तब्दील हो गया है. इसके पीछे का कारण यह है कि सड़क पर धड़ल्ले से बालू लदे ट्रैक्टर चलते रहते हैं, जिसके डल्ले को भी ढका नहीं जाता. यह स्थिति दाउदनगर-बारुण रोड पर सोन पुल चौराहा से लेकर दाउदनगर थाना होते हुए अमृत बिगहा तक यानी की शहरी क्षेत्र की सीमा में देखी जा सकती है. सड़क के दोनों तरफ के साथ-साथ मुख्य सड़क पर बालू के ढेर रहते हैं, जिसे साफ करने की दिशा में पहल करते न तो कभी नगर पर्षद दिखता है और न ही पीडब्ल्यूडी, जिसके अंतर्गत यह सड़क आती है.

एनएच 139 को जोड़ती है यह सड़क

दाउदनगर-बारुण रोड को उत्तर की ओर यह सड़क एनएच 139 औरंगाबाद-पटना मुख्य पथ से जोड़ती है. हालांकि, सिपहां पुल से वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित हो गया है, फिर भी भखरुआं मोड़ से पचकठवा होते हुए दाउदनगर-बारुण रोड, सोन पुल होते हुए नासरीगंज की ओर मुख्य रोड होते हुए जीटी रोड की ओर वाहनों का आवागमन हो रहा है. इस रोड पर वाहनों का अत्यधिक बोझ है और अधिक संख्या में बालू लदे वाहनों का आगमन होता है. सड़क किनारे सड़क पर बालू के ढेर बिखरे होने का एक कारण यह भी माना जाता है कि पीडब्ल्यूडी द्वारा तो सड़क का निर्माण करा दिया गया लेकिन सड़क के दोनों तरफ के गृह स्वामी या दुकानदारों द्वारा फुटपाथ वाले कच्चे भाग को मिट्टी और बालू से भरकर ऊंचा कर दिया गया. यह भी एक कारण है, जिससे सड़क किनारे सड़क पर बालू के ढेर हुए हैं. लोगों का कहना है कि सड़क पर बिखरे बालू के ढेर के कारण एक तरफ जहां वाहनों के आवागमन पर धूल उड़ते रहते हैं. वहीं, दूसरी तरफ पैदल चलना तक मुश्किल हो गया है. बाइक सवारों और साइकिल सवारों को गिरकर चोटिल होने की आशंका बनी रहती है. दोपहिया वाहनों के लिए किनारे में जगह अभी तक नहीं बचता. हालांकि, ऐसी स्थिति सिर्फ दाउदनगर की ही नहीं है, बल्कि शहीद प्रमोद सिंह चौक से नासरीगंज जाने वाले रोड की भी है. औरंगाबाद-पटना मुख्य पथ एवं दाउदनगर -गोह-गया पथ की भी है.

एक बार हुई शुरुआत, फिर बंद

सड़क पर बालू का ढेर बिखरे होने की समस्या जब स्थानीय लोगों द्वारा उठाई गई तो करीब तीन वर्ष पहले नगर पर्षद द्वारा सफाई कर्मियों से बालू का उठाव कराया गया था.लेकिन, वह औपचारिकता साबित होकर रह गया. फिर,तीन वर्षों से फुटपाथ से बालू का उठाव नहीं देखा गया. बालू के ढेर से उड़ते धूल आम लोगों में बीमारियों का कारण भी बन सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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