औरंगाबाद ग्रामीण. नगर थाना की पुलिस द्वारा शहर के करमा रोड स्थित रामराज नगर से पुलिस की नौकरी की आड़ में चोरी का वाहन खरीदने तथा बिक्री करने वाले चालक सिपाही को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार चालक की पहचान आरा जिले के बिहिया निवासी बलिराम कुमार चौधरी के रूप में हुई है. वैसे तबीयत खराब होने के बाद उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इधर, जानकारी मिली कि वह पिछले कुछ महीनों से सस्पेंड चल रहा है. इसके पहले वह टंडवा थाने में चालक सिपाही के पद पर कार्यरत था. पिछले कुछ दिनों से वह फरार चल रहा था. पता चला कि उसके विरुद्ध रोहतास के आयरकोठा गांव निवासी सोनू कुमार ने नगर थाने में आवेदन देकर प्राथमिकी दर्ज करायी थी. आवेदन में सोनू ने कहा था कि चालक सिपाही बलिराम द्वारा बलेनो कार चोरी कर लेने तथा खुद को दरोगा बताते हुए केस वापस लेने की धमकी दी थी. उसने आवेदन में यह भी उल्लेख किया था कि चोरी गयी कार उसके भाई के नाम पर रजिस्टर्ड है, जिसे दो माह पहले चोरों ने उसके घर के बाहर से चोरी कर लिया था. इसके बाद उसके द्वारा स्थानीय थाने में वाहन चोरी की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. इसके बाद आरोपित चालक सिपाही द्वारा खुद को नगर थाने का दरोगा बताते हुए उसके मोबाइल नंबर पर फोन कर केस वापस लेने को कहा गया. केस वापस नहीं लेने पर मर्डर केस में फंसाने तथा जान मारने की धमकी दी गयी थी. धमकी मिलने के बाद दूसरे दिन सोनू नगर थाना पहुंचा, जहां उसे पता चला कि धमकी देने वाला बलिराम नगर थाना परिसर में स्थित महिला थाने में चालक सिपाही के रूप में पदस्थापित था. एक वर्ष पहले उसका ट्रांसफर टंडवा थाने में हो गया था.
थाना परिसर में ही रखता था चोरी की गाड़ी
चालक सिपाही बलिराम के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कर नगर थाने की पुलिस मामले की अनुसंधान में जुट गयी. प्रशांत कुमार को केस का आइओ बनाया गया था. जांच में पता चला कि चालक सिपाही बलिराम चोरी का बलेनो गाड़ी थाना परिसर में ही रखता था. पुलिस द्वारा मामले की छानबीन शुरू की गयी, तो उसने चोरी की गाड़ी को बेच दिया. इस संबंध में नगर थानाध्यक्ष उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पूछताछ के बाद पकड़े गये चालक सिपाही के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उसे रिमांड के लिए कोर्ट भेजने की प्रक्रिया की जा रही है. उसके पास से दरोगा का फर्जी आइडी कार्ड भी बरामद किया गया है.
आरोपित ने अपने को बताया निर्दोष, कहा-अनुसंधानकर्ता ने फंसाया
इधर इस मामले में आरोपित चालक सिपाही ने बताया कि गाड़ी चोरी की नहीं थी. वह उस गाड़ी से ढाई साल तक चला. उसने बताया कि उसने झारखंड के डाल्टनगंज निवासी मो जिब्रेल अंसारी से वर्ष 2021 में खरीदा था. ढाई साल अपने पास रखने के बाद रोहतास के डेहरी स्थित पाली पुल के समीप रहने वाले कार डीलर राजू चौधरी से बेच दिया था. दो महीना बाद राजू चौधरी ने गाड़ी सोनू कुमार को बेच दिया. सोनू ने गाड़ी पर लोन कराया था. लोन की राशि अकाउंट में जाने के बाद उसने यह समझकर की सरकारी नौकरी में है फंसा दूंगा तो पैसा देगा और उसे फंसा दिया. केस के अनुसंधानकर्ता की भी इसमें मिलीभगत है. दोनों ने मिलकर उसे फंसा दिया है.
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