देव. चौती छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन बुधवार को व्रतियों ने विधि-पूर्वक खरना किया. खरना संपन्न होने के साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया. गुरुवार की संध्या को व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ अर्पित करेंगे, जबकि शुक्रवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के साथ यह व्रत संपन्न होगा. सूर्य नगरी देव में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी है. प्रशासन के अनुसार, इस बार पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं को पहुंचने की संभावना है. बुधवार को लगभग दो लाख श्रद्धालु देव पहुंचे और सूर्यकुंड तालाब में स्नान कर भगवान सूर्य को जल अर्पित किया. इसके बाद देव सूर्य मंदिर में दर्शन-पूजन किया. ज्ञात हो कि देव में वर्ष में दो बार, कार्तिक और चैत्र माह में, छठ मेला का आयोजन होता है. इस दौरान देशभर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और सूर्य देव की आराधना करते हैं. देव का सूर्य मंदिर अपनी पश्चिमाभिमुख स्थिति के कारण विशिष्ट माना जाता है. यह विश्व का इकलौता मंदिर है, जहां सूर्य देव की प्रतिमा पश्चिम दिशा की ओर मुख कर स्थापित है. इसी कारण यहां की महिमा अपरंपार मानी जाती है.
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था
व्रतियों और श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो, इसके लिए विभिन्न मार्गों पर पानी का छिड़काव किया गया है. मेला क्षेत्र में भी साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की गई है. जगह-जगह चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं, जहां स्वास्थ्यकर्मियों की टीम किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है.अधिकारी रख रहे नजर
देव छठ मेले की व्यवस्था पर पदाधिकारी लगातार नजर रख रहे हैं. स्वयं जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री, पुलिस अधीक्षक अंबरीश राहुल, एसडीओ संतन सिंह, प्रखंड विकास पदाधिकारी अंकेशा यादव,अंचलाधिकारी दीपक कुमार व थानाध्यक्ष कुमार सौरभ के अलावे देव के स्थानीय अधिकारी लगातार मेले में भ्रमण कर रहे हैं व व्यवस्था पर नजर रख रहे है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर प्रशासन सख्त है, पर्याप्त संख्या में दंडाधिकारियों व पुलिस बलों को लगाया गया है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से चिकित्सीय सुविधा मुहैया करायी जा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

