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Aurangabad News : नहीं लगाने पड़ेंगे अंचल कार्यालय के चक्कर

Aurangabad News :जमीन दस्तावेज में सुधार की प्रक्रिया को सरल व पारदर्शी बनाने के लिए सरकार कर रही काम

औरंगाबाद/कुटुंबा. सरकार का राजस्व व भूमि सुधार विभाग रैयतों की समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव प्रयासरत है. बिहार के सभी प्रखंडों में 16 अगस्त से राजस्व महाअभियान शुरू हो गया है. कार्यक्रम के तहत अंचल कर्मी किसानों के द्वार तक पहुंचकर जमाबंदी, परिमार्जन तथा नामांतरण का प्रपत्र वितरण कर रहे हैं. अब किसानों को सजग होने की जरूरत है. अगर इस बार वे चूक गयेए तो आगे चलकर उन्हें जमाबंदी रसीद प्राप्त करने में काफी दिक्कत हो सकती है. हाल में प्रशासन द्वारा गठित टीम के कर्मी भू-विवाद व अन्य तरह के जमीन से जुड़े मामलों का निबटारा करने में लगे हैं. इस अभियान के तहत भूमि से जुड़ी समस्याओं का निदान किया जा रहा है. शुक्रवार को सीआइ जीतेंद्र कुमार के नेतृत्व में अमीन हेमलता कुमारी, सलाहकार मुरारी राम, कचहरी सचिव कौशल कुमार, शोभा कुमारी, विकास मित्र जयप्रकाश कुमार, रामलखन राम और सहयोगी विदेंश्वर पासवान ने सूही पंचायत के सूही, दुधमी, बड़हर, देवरिया आदि कई गांवों में किसानों के बीच आवश्यक दस्तावेजों का वितरण किया. सीआइ ने बताया कि राजस्व महाअभियान का मुख्य उद्देश्य भूमि सुधार की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी व जनसुलभ बनाना है. भूमि विवाद के बढ़ते मामलों को देखते हुए विभाग ने यह निर्णय लिया है.

228 राजस्व गांव में प्रपत्र वितरण के लिए लगाये गये 350 कर्मी

कुटुंबा प्रखंड के 20 पंचायतों के 228 राजस्व गांवों में 80 हजार रैयतों के बीच जमाबंदी, परिमार्जन व नामांतरण प्रपत्र वितरण के लिए 350 कर्मी लगाये गये हैं. इनमें राजस्व कर्मचारी नौ, पंचायत सचिव सात, सेविका 125, टोला सेवक 93, जीविका 30, आवास सहायक 15, पंचायत रोजगार सेवक 16, सर्वेक्षता पर्यवेक्षक व विकास मित्र 38 के अलावा कृषि विभाग के सलाहकार व एटीएम 17 शामिल हैं. इसी बीच कृषि विभाग में डिजिटल क्रॉप सर्वे का कार्य भी शुरू है. ऐसे में कृषि कर्मियों को परेशानी हो रही है. उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि समय किस काम में लगाया जाये. इधर, प्रपत्र प्राप्त करने के लिए किसानों के बीच होड़ मची है जबकि कर्मी किसानों को खोज-खोज कर जमाबंदी प्रपत्र उपलब्ध करा रहे हैं.

बिचौलियों से रहें दूर

भूमि विवाद में उलझन पैदा करने में बिचौलियों की भूमिका अहम रहती है. वे बेवजह छोटी-छोटी बातों को तूल देकर हर काम में अड़ंगा लगाते हैं. ज्यादातर भूमि विवाद के कारण मारपीट व खून-खराबा हो रहा है. हालांकि राजस्व विभाग ने अपनी वेबसाइट पर खतियान उपलब्ध करा दिया है. अब खतियान देखने और समझने के लिए बिचौलियों के पास जाने की जरूरत नहीं है. राजस्व कर्मी रैयतों के दरवाजे तक पहुंचकर सेवा दे रहे हैं. अधिवक्ता अरुण कुमार पांडेय, अमरेंद्र सिंह व सत्येंद्र नारायण पांडेय का कहना है कि बिचौलिये नक्शा-खतियान दिखाने के नाम पर भोले-भाले किसानों से रुपये ऐंठ लेते हैं और फिर आपसी विवाद खड़ा कर देते हैं. इससे उन्हें आगे भी कमाई होती रहती है.

सीओ ने दी जानकारी

कुटुंबा सीओ चंद्रप्रकाश ने बताया कि जमाबंदी, परिमार्जन व नामांतरण प्रपत्र प्राप्त करने के बाद रैयत अपना नाम, पिता का नाम, खाता, खेसरा, रकबा, जाति और मलिकाना हक को केवाला, खतियान व वर्ष 1988 की रसीद से मिलान कर ठीक से समझ लें. अगर इसमें त्रुटि मिले तो शिविर में सुधार के लिए आवेदन दें. उन्होंने बताया कि प्रत्येक हल्का में दो शिविर लगाये जायेंगे. यह अभियान 20 सितंबर तक चलेगा. इसके बाद 21 सितंबर से 30 अक्टूबर तक किसानों द्वारा प्राप्त आवेदनों के आलोक में जमाबंदी परिमार्जन व नामांतरण में सुधार किया जायेगा. जिन रैयतों का जमाबंदी ऑनलाइन नहीं हुआ है या मृत पाया गया है, उसका भी अपडेट किया जायेगा. सीओ ने स्पष्ट किया कि जिनके पूर्वजों के नाम से अभी तक डिमांड चल रहा है, वंशावली के आधार पर फरीकों के बीच बंटवारा कर नामांतरण किया जायेगा. इस दौरान रैयत को जमीन पर मलिकाना हक साबित करने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा. अभियान के तहत दाखिल-खारिज नहीं होगा. इसके लिए पूर्व की प्रक्रिया ही अपनानी होगी. सीओ ने रैयतों को सलाह दी कि वे बिचौलियों से दूर रहकर राजस्व शिविरों में अपनी समस्या का निबटारा करें.

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