देव. सूर्यनगरी के रूप में प्रचलित देव धाम मंगलवार को श्रद्धालुओं से पट गया. पौराणिक सूर्य मंदिर में आर्द्रा नक्षत्र के अंतिम मंगलवार को करीब दो लाख लोगों ने पहुंचकर भगवान भास्कर का दर्शन-पूजन किया. वैसे मंदिर में सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. आर्द्रा नक्षत्र होने के कारण भगवान भास्कर के दर्शन-पूजन के लिए भक्तगण लालायित दिखे. औरंगाबाद के अलावा गयाजी, जहानाबाद, अरवल, रोहतास, कैमूर, नवादा, झारखंड के गढ़वा, पलामू सहित अन्य जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने देव पहुंचकर भगवान सूर्य का दर्शन किया. इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था में तैनात पुलिस कर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी. भक्तों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन की ओर से विधि-व्यवस्था और सुरक्षा के लिए तमाम रूट पर पुलिस बलों की तैनाती की गयी थी. प्रशासन ने सूर्यकुंड घाट मार्ग, गोदाम मार्ग, बाला पोखर मार्ग, मेन रोड मार्ग, अंबा मार्ग पर लगने वाले जाम के मद्देनजर विधि व्यवस्था बहाल कर रखी थी. मेले के दौरान जाम न लगे, इसके लिए प्रशासन की ओर से उचित पार्किंग की व्यवस्था भी की गयी थी.
सूर्यकुंड में स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने किया दर्शन
सबसे पहले श्रद्धालुओं ने सूर्यकुंड में स्नान किया. स्नान के बाद श्रद्धालु सूर्य मंदिर पहुंचे और घंटों कतार में लगने के बाद भगवान भास्कर का दर्शन किया. इस दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ काफी थी. लिहाजा, श्रद्धालुओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. वहीं भीड़ से किसी को दिक्कत न हो, इसके लिए जगह-जगह सुरक्षा बल तैनात किये गये थे, लेकिन सुरक्षाबल भीड़ के सामने बौना पड़ रहे थे. यूं कहें कि पूरा देव जाम हो चुका था. सूर्यकुंड तालाब परिसर, देव गोदाम, सूर्य मंदिर परिसर, देव थाना मोड़, हॉस्पिटल मोड़ में फल दुकानदारों की लंबी दुकानें लगी थीं.नागर शैली का है मंदिर, काले पत्थरों से हुआ निर्माण
मंदिर के इतिहास पर नजर डालें, तो मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है. काले पत्थरों को तरासकर मंदिर का निर्माण कराया गया है. देश में भगवान सूर्य के कई प्रख्यात मंदिर हैं. परंतु, देव में छठ करने का अलग महत्व है. मंदिर को लेकर कई किवदंती है. औरंगाबाद से 18 किलोमीटर दूर देव सूर्यमंदिर करीब 100 फुट ऊंचा है. मान्यता है कि इस सूर्य मंदिर का निर्माण त्रेता युग में भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं किया था. यहां लाखों श्रद्धालु छठ करने झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ़ समेत देश के कई राज्यों से आते हैं. यह भी मान्यता है कि जो भक्त यहां भगवान सूर्य की आराधना मन से करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. आर्द्रा के समय मेला लगता है. आर्द्रा नक्षत्र का यह मेला दो रविवार और दो मंगलवार को खास होता है. इसके अलावा हर रविवार को श्रद्धलुओं की भीड़ पहुंचती है. ऐसे हर दिन मंदिर में पूजा करने के लिए श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

