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Aurangabad News : हरितालिका तीज व्रत का अनुष्ठान से होती है अखंड सौभाग्य की प्राप्ति

Aurangabad News:इस बार 26 अगस्त मंगलवार को है तीज, काले रंग के वस्त्र और चूड़ियां वर्जित

औरंगाबाद/अबा. भारतीय धर्म परंपरा में सुहागिन स्त्रियों के लिए तीज व्रत का विशेष महत्व है. इस बार 26 अगस्त यानी मंगलवार को सनातन धर्मावलंबी महिलाएं हरितालिका तीज का अनुष्ठान करेंगी. यह व्रत काफी कठिन बताया जाता है. महिला श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ उक्त दिन दांपत्य जीवन को सुखी बनाने के लिए भगवान शंकर और माता पार्वती की उपासना करती है. ज्योतिर्विद डॉ हेरंब कुमार मिश्र ने बताया कि सदियों से सावन महीने में कजरी तीज मनाने की परंपरा रही है. इस दौरान महिलाएं कजरी गीत का आनंद उठाती हैं. वहीं भादो महीने के तीज का महत्व है. उन्होंने बताया कि यह व्रत प्रत्येक वर्ष भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि और हस्त नक्षत्र में किया जाता है. इस वर्ष सोमवार को दिन में 11 बजकर 39 मिनट से तृतीया तिथि शुरू है, जो मंगलवार के दिन में 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगी. वहीं सम्पूर्ण दिन रात हस्त नक्षत्र भी है. ज्योतिर्विद डॉ मिश्र ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार दूसरे दिन तृतीया तिथि हो जिसमें चतुर्थी मिली हुई हो तो उसी दिन व्रत करना चाहिए. उन्होंने निर्णय सिंधु का हवाला देते हुए कहा कि “चतुर्थी सहिता या तु सा तृतीया फलप्रदा”. इस कारण उदयातिथि तीज को महत्व देते हुए मंगलवार को ही व्रत रखा जाएगा. इस दिन व्रती कभी भी पूजा कर सकती हैं.

तृतीया तिथि के स्वामी माता गौरी व चतुर्थी के स्वामी हैं भगवान गणेश

चतुर्थी तिथि को माता गौरी की गोद में भगवान गणेश विराजमान हैं. इसके वजह से यह व्रत बहुत ही पुण्यदायक है. उन्होंने बताया कि हरितालिका व्रत के दिन सुहागिन स्त्रियां निर्जला उपवास रखकर भगवान शिव और पार्वती का पूजन करती हैं. सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र एवं परिवार के सुख के कामना से यह कठिन निर्जला व्रत रखती हैं. इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन सुखी होता है और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. हालांकि कहीं- कहीं कुंवारी कन्याएं भी मनोभिलषित वर की कामना से तीज व्रत करती हैं. इस दौरान स्नानादि से निवृत्त होकर शृंगार प्रसाधनों से सजकर स्त्रियां पूजन करती हैं और व्रत की कथा का श्रवण करती हैं.

तीज व्रत में धार्मिक नियम का पालन करना जरूरी

ज्योतिर्विद के साथ आचार्य रजनीश पांडेय व सुशील मिश्र ने बताया कि तीज में व्रती को कुछ नियमों का पालन करना ज़रूरी होता है. इस दौरान यथासंभव श्रृंगार प्रसाधन का उपयोग करना जरूरी है. वहीं काले रंग के वस्त्र, काली विंदी और हाथों में काली चूड़ियां वर्जित हैं. अनुष्ठान के क्रम में पति-पत्नी के बीच वाद-विवाद से नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. सुहागिन स्त्रियों को अपनी मांग बगैर सिंदूर के खाली रखना अशुभ माना जाता है. इसके साथ अन्य स्वजनों को तामसी भोजन से परहेज करना चाहिए.

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