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Aurangabad News : सोन उफान पर, किसानों की रोजी-रोटी पर आफत

Aurangabad News : बाढ़ से सैकड़ो एकड़ की फसल बर्बाद, प्रशासन पर सूचना नहीं देने आरोप, मुआवजे की मांग

बारुण. सोन नदी के टिलों पर अपनी आजीविका चलाने वाले किसान मायूस हैं. सोन नदी में बुधवार की देर रात आयी पानी से तटीय इलाके की सैकड़ों एकड़ में लगी धान, पटल, लौकी, बैगन सहित अन्य मौसमी सब्जियों की फसल जलमग्न हो गयी. सोन तटीय इलाका बारुण प्रखंड अंतर्गत मेह, खजूरी फार्म, बारुण, जानपुर, इंग्लिश गठौली समेत अन्य गांव के लोग बढ़ते जल स्तर से अपने-अपने पालतू मवेशियों व अन्य सामान को सुरक्षित स्थान पर ले गये. सोन नदी के किनारे रहने वाले सैकड़ों किसान नदी के बीचोंबीच बने टीले पर मौसमी सब्जी उगाकर अपने और अपने परिवार का पेट पालते हैं. कभी-कभी तो वह महीनों तक बने टीले पर ही रह जाते हैं. साथ ही, अपने मवेशियों को भी रखते हैं पर अचानक पानी के बढ़े स्तर ने इनकी फसल बर्बाद कर दी. ऐसे में हर बार जब पानी खतरे के निशान से ऊपर जाता था, तो प्रशासन इन लोगों को अलर्ट करता था. लेकिन इस बार प्रशासन की ओर से लोगों को किसी तरह की कोई सूचना नहीं दी गयी. गत वर्ष भी धान की फैसले तैयार होने के कगार पर थी, तभी बाढ़ के पानी से पूरी फैसल बर्बाद हो गया थी. फसल की बर्बादी देख किसान बेहद मायूस हैं.

क्या कहते हैं किसान

गणेश चौधरी ने बताया कि काफी वर्षों से सोन नदी में खेती करते है. इसी से उनका व उनके परिवार का जीविकापार्जन चलता है. बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान हुआ है. ऐसे जीविकापार्जन चलाना मुश्किल प्रतीत हो रहा है. गुलाबचंद चौधरी ने कहा कि सोन नदी में बाढ़ की सूचना इस बार नही मिली थी, अचानक से सोन नदी के बढ़े जल स्तर से अपनी जान बचाकर भागे. बाढ़ में उनका फसल सहित मोटर पंप व अन्य सामान डूब गये. रामचन्द्र चौधरी ने कहा कि पिछले कई वर्षों से सोन नदी में ही खेती करते आ रहे है. पिछले वर्ष व इस वर्ष भी बाढ़ आयी. जिससे उनका सारा फसल बर्बाद हो गया. ऐसे में दयनीय व आर्थिक स्थिति से गुजर रहे है. कामेश्वर चौधरी ने बताया कि बाढ़ आने की सूचना अगर पहले मिल जाती तो ज्यादा से ज्यादा सामना व फसल नदी से लाया जा सकता था.लेकिन अचानक आये पानी से पूरा बर्बाद हो गया है. उन्हें क्षतिपूर्ति चाहिए. रंजीत चौधरी ने कहा कि प्रशासन द्वारा सूचना नहीं देने की वजह से काफी नुकसान हुआ है. बाढ़ आना प्राकृतिक है लेकिन अगर सूचना मिल जाये तो कम से कम क्षति होती. प्रसाशन से उन्होंने मुआवजे की मांग की है.

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