औरंगाबाद कार्यालय. औरंगाबाद जिले में झोलाछाप चिकित्सकों पर कार्रवाई नहीं होने की वजह से उनका मनोबल लगातार बढ़ रहा है. कब किसकी जान उनकी चपेट में आने से चली जाये कहा नहीं जा सकता. एक बार फिर ऐसे ही एक डॉक्टर ने महिला की जान ले ली. घटना गुरुवार की रात की है. मृतका की पहचान रविकर गांव निवासी संतन पासवान की पत्नी बेबी देवी के रूप में हुई है. बेबी देवी को रक्तस्राव हो रहा था. गांव के ही एक चिकित्सक ने उसे इलाज की सलाह देते हुए औरंगाबाद शहर के महाराजगंज रोड में वीटू मॉल के समीप एक क्लिनिक में भर्ती करा दिया. वहां निजी डॉक्टर की लापरवाही से महिला की जान चली गयी. घटना के बाद परिजनों ने हंगामा किया और नगर थाने को सूचना दी. पुलिस पहुंची और बिंदू देवी नामक एक महिला को हिरासत में लिया. इस मामले में नगर थाने की पुलिस ने मृतका के भाई मनीष कुमार का फर्द बयान दर्ज किया है. मनीष ने कहा कि 17 जुलाई की सुबह साढ़े नौ बजे उसकी बहन को ग्रामीण चिकित्सक अरविंद प्रजापति द्वारा औरंगाबाद शहर स्थित अवैध क्लिनिक में भर्ती करा दिया. दिनभर इलाज चला. डॉक्टर अनुभवी नहीं था. एक्सपायरी दवा देने के चलते रात में उसकी बहन की मौत हो गयी. पुलिस को बताया है कि उसकी बहन को अवैध क्लिनिक में ले जाकर गलत दवा दिया गया, जिससे उसकी मौत हो गयी. मनीष ने झोलाछाप डॉक्टर और अरविंद प्रजापति पर कार्रवाई करने की गुहार लगायी है.
सदर अस्पताल में घंटों रहा जमावड़ा
शुक्रवार की सुबह मृतका के शव लेकर परिजन सदर अस्पताल पहुंचे और सिविल सर्जन से कार्रवाई की गुहार लगाने लगे. कई घंटों तक वहां लोगों का जमावड़ा रहा. खैराबिंद पंचायत के मुखिया सुजीत सिंह, उप मुखिया राहुल सिंह, पंचायत समिति सदस्य उदय पासवान, पूर्व पंचायत समिति सदस्य विकास पासवान आदि लोगों ने मृतक के परिजनों को ढांढ़स बंधाया. इधर उप मुखिया राहुल कुमार सिंह ने बताया कि घटना के पीछे निजी चिकित्सक की लापरवाही है. इसमें सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से गरीबों की जान जा रही है. आखिर कब कार्रवाई होगी. राहुल ने बताया कि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी कराकर पुलिस ने शव परिजनों को सौंप दिया है. इधर, नगर थानाध्यक्ष उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि अवैध क्लिनिक में लापरवाही से एक महिला की मौत हुई है. इस मामले में एक महिला को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई कर रही है.
घंटों चला मैनेज करने का दौर, नकद व चेक में फंसा मामला
महिला की मौत पर सदर अस्पताल में खूब राजनीति हुई. दो पक्ष आमने-सामने हो गये. एक पक्ष ने मैनेज की कोशिश की, जबकि दूसरे पक्ष ने एफआइआर की वकालत की. डॉक्टर की ओर से कुछ लोग मैनेज करने में लगे थे. मामला पांच से आठ लाख तक पहुंचा. कुछ नकद, बाकि चेक का हवाला दिया गया. नकद देने में डॉक्टर के समर्थक कमजोर साबित हुए. बात बिगड़ गयी. हालांकि, मृतक के परिजनों को इससे कोई लेना-देना नहीं था.आखिर कब होगी कार्रवाई, अधिकारी क्यों नहीं ले रहे संज्ञान
औरंगाबाद जिले में झोलाछाप चिकित्सकों की भरमार है. जिला मुख्यालय से लेकर गांव-गांव तक ऐसे डॉक्टर कुकुरमुत्ते की तरह मामूली क्लिनिक खोलकर बैठे हुए है. कब किसकी जान चली जाये कहा नहीं जा सकता. ऐसे लोगों को जिले के कुछ चंद डॉक्टर बढ़ावा दे रहे है. एक-एक डॉक्टर के नाम पर कई क्लिनिकों का संचालन हो रहा है. घटना के बाद डॉक्टरों का बोर्ड हटाना और शटर गिराना आम बात है. हाल के दिनों में बहुत से लोगों की जान गयी है. अवैध क्लिनिकों में भोले-भाले मरीजों को पहुंचाने वाले दलालों की भरमार है. सदर अस्पताल भी इसका एक केंद्र बिंदू है. अवैध क्लिनिकों के दलाल अस्पताल में घूमते रहते है. इससे भी बड़ी आश्चर्य की बात यह है कि इस तरह की घटना लगातार होने के बाद भी ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं हो रही है. आखिर अवैध क्लिनिकों पर कब शिकंजा कसेगा. जिले के अधिकारी संज्ञान क्यों नहीं ले रहे है. हर मौत के बाद मैनेज के नाम पर चंद पैसे का खेल होता है. लाश पर राजनीति होती है. वही होता है जो पैसे के बल पर किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

