गोह. देवकुंड धाम का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरकारी उदासीनता और कर्मचारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया है. हजारों श्रद्धालुओं और आसपास के ग्रामीणों के लिए खोला गया यह अस्पताल समय पर सेवा देने के बजाय दोपहर में ही बंद हो जा रहा है और इसमें ताले लटक जा रहे है. आलम यह है कि इलाज के लिए पहुंचने वाले कई मरीज बिना उपचार के ही लौट जाते हैं. ग्रामीणों ने इस लापरवाही की शिकायत चिकित्सा पदाधिकारी शिवशंकर कुमार और प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक मनीष कुमार से की थी. लेकिन हैरानी की बात है कि अब तक कोई कदम नहीं उठाये गये. न तो जांच हुई, न ही कोई जवाबदेही तय की गयी. ऐसे में स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. शिकायत पर प्रभात खबर की टीम मंगलवार को जब देवकुंड स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो दोपहर दो बजे के बाद गेट पर ताला लटका मिला. परिसर में कोई चिकित्सक या कर्मचारी मौजूद नहीं था. इस दौरान दो-तीन मरीज इलाज के लिए आये, लेकिन अस्पताल बंद पाकर उन्हें निराश लौटना पड़ा. ग्रामीणों का आरोप है कि केंद्र पर तैनात चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी ड्यूटी का पालन करने के बजाय सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं. सुबह थोड़ी देर ओपीडी चलाकर कर्मचारी अपना काम खत्म मान लेते हैं और दोपहर बाद ताला लगाकर घर चले जाते हैं. आपात स्थिति में आने वाले मरीजों की न तो जांच हो पाती है और न ही दवाइयां मिल पाती हैं. लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण यह अस्पताल खुलने के वर्षों बाद भी अस्पताल जैसा काम नहीं कर पा रहा है. यह उदाहरण इस बात का प्रमाण है कि सरकारी योजनाओं की घोषणा और जमीनी हकीकत में कितना अंतर है. इस संबंध में जब प्रभारी सिविल सर्जन भोला भाई से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी दी गई है और मामले की जांच कर संबंधित कर्मचारियों पर कार्रवाई की जायेगी.
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