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हिंदी दिवस पखवारा के समापन पर विचार गोष्ठी व कवि सम्मेलन का आयोजन

एक सितंबर से 14 सितंबर तक चल रहे पखवारे के अंतर्गत हिंदी भाषा एवं साहित्य को वैश्विक पहचान दिलाने में संघर्षरत साहित्यकारों को याद किया गया

औरंगाबाद ग्रामीण. जिला मुख्यालय स्थित पृथ्वीराज चौक स्मृति भवन के प्रांगण में जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन औरंगाबाद के तत्वावधान में आयोजित हिंदी दिवस पखवारा का समापन हो गया. ज्ञात हो एक सितंबर से 14 सितंबर तक चल रहे पखवारे के अंतर्गत हिंदी भाषा एवं साहित्य को वैश्विक पहचान दिलाने में संघर्षरत साहित्यकारों को याद किया गया. संस्था के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का संचालन उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पृथ्वीराज चौहान ट्रस्ट के अध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप नारायण सिंह, उपाध्यक्ष डॉ संजीव रंजन, कार्यकारी अध्यक्ष जगदीश सिंह व रामप्रवेश सिंह, जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री धनंजय जयपुरी, प्रमंडलीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष रामभजन सिंह, वरीय सदस्य कौशलेंद्र प्रताप नारायण सिंह, चंद्र प्रकाश विकास, सत्यचंडी धाम महोत्सव के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह, दोमुहान महोत्सव के अध्यक्ष सिंहेश सिंह सहित अन्य लोगों ने दीप प्रज्ज्वलित कर की. कार्यक्रम के प्रथम सत्र में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए आयोजित विचार गोष्ठी के संबोधन के क्रम में राम भजन सिंह ने कहा कि दक्षिण भारत में बसे हिंदी भाषी लोग जब अपने प्रदेश के लोगों से मिलते हैं तो उन्हें अपार हर्ष होता है. सिद्धेश्वर सिंह ने कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा के रुप में स्थापित करने के लिए वर्तमान सत्ता में बैठे लोग यदि पुरजोर प्रयास करें तो यह संभव हो सकता है. हिंदी दिवस के ऐतिहासिक उल्लेख्यों की भी चर्चा की. गोष्ठी में शामिल सभी लोगों ने ध्वनि मत से प्रस्ताव पारित किया कि हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किया जाये व उच्च शिक्षा के पढ़ाई के लिए अंग्रेजी से हिंदी भाषा में रूपांतरित पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसकी शुरुआत सरस्वती वंदना के साथ शिव प्रसाद ने हुई. अनुज बेचन के मर्म स्पर्शी कविता पर लोग भावुक हो गये तो तेजस्विनी सिंह की काव्य पाठ सुनाऊं रात का किस्सा धरा पर चांद आया है, सुनकर लोग भाव विह्वल हो गये. जनार्दन मिश्र जलज ने अपने काव्य पाठ में भारत माता के माथे की बिंदी है, वह तो भारत की हिंदी है सुनायी. धनंजय जयपुरी ने कुंडलियों का पाठ किया. सुमन लता ने हमेशा खुशियां सदाबहार नहीं होती, हर दर्द की दवा हमेशा असरदार नहीं होती काव्य पाठ सुनायी. धर्मेंद्र सिंह ने इंग्लिश छोड़कर हिंदी बोलूं मोर सजनवा हो मीठी-मीठी बतिया बोलूं सुनाया तो लोग मंत्र मुग्ध हो गये. डॉ संजीव रंजन ने शायराना अंदाज में काव्य पाठ करते हुए कहा कि बहुत सारी खुशफहमियां को दूर करने का वक्त आया है. नागेंद्र केसरी की कविता तुम कहो तो चांद लाउं सुनकर लोगों ने करतल ध्वनि के साथ स्वागत किया. सुमन अग्रवाल की कविता घर की पुरानी दीवारों से ढहने लगा है आदमी, बहुत हो चुका रिश्तों का बोझ अब दबने लगा है आदमी, काव्य पाठ पर दर्शक दीर्घा में सन्नाटा छा गया. धन्यवाद ज्ञापन पृथ्वीराज चौहान ट्रस्ट के सचिव स्वर्णजीत कुमार सिंह ने किया. हिंदी दिवस के मौके पर भीम सिंह, रंजीत कुमार सिंह, अजीत मिश्रा, शिक्षक चंद्रकांत सिंह, विद्याभूषण आदि उपस्थित थे.

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