मनमानी. हर रोज बरबाद हो रहा हजारों लीटर पानी
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बिना अनुमति के ही चल रहे दो दर्जन आरओ प्लांट
मनमानी. हर रोज बरबाद हो रहा हजारों लीटर पानी औरंगाबाद सदर : एक तरफ शहर के अधिकांश हिस्सों में पेयजल संकट गहराया हुआ है. वहीं दूसरी तरफ खुलेआम जल का दोहन किया जा रहा है. वो भी ऐसे वक्त में जब गरमी के वक्त अधिकांश चापाकलों व बोरिंग के लेयर भाग गये हैं. ऐसे में […]
औरंगाबाद सदर : एक तरफ शहर के अधिकांश हिस्सों में पेयजल संकट गहराया हुआ है. वहीं दूसरी तरफ खुलेआम जल का दोहन किया जा रहा है. वो भी ऐसे वक्त में जब गरमी के वक्त अधिकांश चापाकलों व बोरिंग के लेयर भाग गये हैं. ऐसे में जिन इलाकों में आरओ प्लांट चल रहे हैं, वहां हजारों लीटर पानी रोजाना बेवजह बरबाद किया जा रहा है. शहर के चारों ओर करीब दो दर्जन से अधिक आरओ प्लांट संचालित है, जहां भूमिगत जल को प्रोसेसिंग के बाद पैक कर बेचा जाता है.
ताज्जुब तो यह है कि ऐसे प्लांट बिना किसी वैध लाइसेंस व पर्यावरण विभाग के अनापत्ति के संचालित हैं. आरओ प्लांट के नाम पर चल रही पानी की दुकान से जहां एक ओर लोगों को रोजगार मिल रहा है और एक नया व्यवसाय विकसित हुआ है, वहीं दूसरी ओर इस व्यवसाय से पेयजल संकट भी गहराता जा रहा है. आरओ प्लांटवाले अपनी फैक्टरी में हैवी बोरिंग करा रखे हैं और पानी को शुद्ध करने के नाम पर हजारों लीटर पानी को नाली में बेवजह बहा रहे हैं. जबकि, वेस्ट पानी का अगर संचय किया जाये, तो उस पानी से वाटर लेबल भी बना रहेगा और उससे कई लोगों की जरूरत भी पूरी होती रहेगी.
इन इलाकों में चल रहे आरओ प्लांट : शहर के विभिन्न इलाकों में चल रहे दर्जनों आरओ प्लांट बिना किसी एनओसी के संचालित हैं. शहर के सिन्हा कॉलेज, बिराटपुर मुहल्ला, तिवारी बिगहा, नावाडीह गंज मुहल्ला, केवानी मुहल्ला, कलामी मुहल्ला, करमा रोड, क्लब रोड, एमजी रोड, न्यू एरिया आदि इलाकों में आरओ प्लांट संचालित हैं, जहां के प्रभावित लोग हमेशा इस बात से नाराज रहते हैं कि आरओ प्लांट के कारण ही मोटर का लेयर भाग गया है. जबकि प्लांट लगने के पहले ऐसा नहीं था.
समाजसेवी व आरटीआइ कार्यकर्ता त्रिपुरारी पांडेय ने बताया कि औरंगाबाद, नवीनगर, कुटुंबा और देव के इलाकों में गरमी के समय पेयजल संकट गहरा जाता है. खासकर, औरंगाबाद शहर में पेयजल संकट एक गंभीर समस्या रही है. ऐसे में जल का दोहन ठीक नहीं है. शहर में आरओ प्लांटवाले और गाड़ियों की धुलाई करनेवाले लोग लाखों लीटर पानी बेवजह बरबाद कर रहे हैं. इस पर प्रशासन को गंभीर होने की आवश्यकता है.
डीएम नवीन कुमार झा ने कसा था शिकंजा
तत्कालीन जिलाधिकारी नवीन कुमार झा के समय वाटर प्लांटवालों पर जबरदस्त शिकंजा कसा गया था़. तब कुछ लोगों ने आनन-फानन में वार्ड पार्षदों से अनापत्ति लेकर नगर पर्षद में जमा कर दिया था. इसके कारण मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, फिर उसके बाद बिना एनओसी के चल रहे प्लांटों पर दोबारा कार्रवाई नहीं हो सकी. इस दौरान कुछ ऐसे प्लांट सामने आये थे, जिनके पास किसी तरह का कोई लाइसेंस नहीं था. आज भी वे पुराने ही तौर-तरीके से मजे में बाजार व मंडियों में पानी की सप्लाई कर रहे हैं. लोगों की शिकायत है कि जिन इलाकों में ऐसे प्लांट संचालित हैं, वहां के आसपास के बोरिंग व चापाकलों के लेयर प्रभावित हो रहे हैं.
डोमेस्टिक आरओ से कई गुना ज्यादा पानी होता है बरबाद
जानकारी के अनुसार घर में लगे डोमेस्टिक आरओ अगर दस लीटर स्टोरेजवाला है, तो वह सात से आठ लीटर पानी बरबाद (वेस्ट) करता है, पर घर में लगे आरओ का वेस्ट वाटर बाल्टी या टब में जमा कर लोग उसे फिर से उपयोग में ले आते हैं. लेकिन, बड़े आरओ प्लांट के साथ ऐसा नहीं है. ऐसे प्लांट जहां भी लगे हैं, वहां शुद्ध पानी बनाने के नाम पर डोमेस्टिक आरओ से कई गुना ज्यादा पानी वेस्ट होता है. अगर एक हजार लीटर का आरओ प्लांट किसी फैक्टरी में लगा है, तो वहां आरओ करने के नाम पर 1200 से 1300 लीटर पानी बेवजह बरबाद हो जाता है. इस वेस्ट पानी को किसी भी प्लांट द्वारा संचय नहीं किया जाता. इसके चलते इलाके के भूजल स्तर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस कार्य के लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचइडी) जिम्मेवार है. जहां तक नगर पर्षद से एनओसी की बात है, तो विभाग से लिये गये अनापत्ति की जांच की जायेगी.
विमल कुमार, कार्यपालक अधिकारी, नगर पर्षद
विभाग से किसी ने अनापत्ति नहीं ली है. किसी आरओ प्लांट ने वाटर टेस्टिंग भी नहीं कराया है. ऐसे प्लांट से लेयर भागने की संभावना बनी रहती है. जल का दोहन करनेवालों पर कार्रवाई की जायेगी.
चंद्रभूषण पासवान, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी विभाग
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