बिक गये घर-बार, पर हाथ बेटी के पीले हो गये(फोटो नंबर-16) कैप्शन- मुशायरे के समापन के दौरान उपस्थित शायर. ऑक्सफोर्ड इंगलिश क्लासेस के सभागार में मुशायरे का आयोजनप्रतिनिधि 4 औरंगाबाद (सदर)उनके होठों से अदा होने के बाद, बोल गीतो के रसीले हो गये, बिक गये घर-बार तो कोई गम नहीं, हाथ बेटी के तो पीले हो गये. कुछ इसी अंदाज में गुुरुवार की रात शायरी की महफिल सजी. मौका था शहर के ऑक्सफोर्ड इंगलिश क्लासेस के सभागार में आयोजित मुशायरे का. इस मुशायरे में शहर के कई शायर शामिल हुए. कार्यक्रम की शुरुआत जश्न-ए-नामेह नासरी गंजवी के नाम से हुई. कार्यक्रम की अध्यक्षता मशहूर शायर सबिर हसन सबिर ने की. इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में डाॅ कासिम फरीदी व डॉ सैयद नेहालुद्दीन भी उपस्थित थे. मुख्य अतिथियों ने अतिथि शायर नसीह साहब को शॉल भेट कर सम्मानित किया. नसीह साहब के सम्मान में शायर युसुफ जमील के वालिद (पिता) जमील रागीब ने भी उपहार भेंट किये. इस मुशायरे में अनिल सिन्हा चंचल, नागेंद्र दूबे, हाफिज, फैजल जाहिद, अबू तालिब रजा, धर्मवीर भारती, आफताब राणा, अबरार सावन, गुलफाम सिद्दीकी, नूर आलम सिद्दीकी व मोहम्मद अरशद सहित अन्य लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम में नसीह नासरी गंजवी ने कहा-मौसम जब पुरवाई देगा, फूलों को अंगड़ाई देगा, बंटवारे का गम भी एक दिन मुझको मेरा भाई देगा. उनके इस शायरी की काफी सराहना मिली.
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बिक गये घर-बार, पर हाथ बेटी के पीले हो गये
बिक गये घर-बार, पर हाथ बेटी के पीले हो गये(फोटो नंबर-16) कैप्शन- मुशायरे के समापन के दौरान उपस्थित शायर. ऑक्सफोर्ड इंगलिश क्लासेस के सभागार में मुशायरे का आयोजनप्रतिनिधि 4 औरंगाबाद (सदर)उनके होठों से अदा होने के बाद, बोल गीतो के रसीले हो गये, बिक गये घर-बार तो कोई गम नहीं, हाथ बेटी के तो पीले […]
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