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मदरसा इसलामिया में भवन व शक्षिको की कमी

मदरसा इसलामिया में भवन व शिक्षको की कमी पूरे क्षेत्र में उर्दू के लिये अलग है पहचानप्रारंभिक शिक्षा से फाजिल तक की होती है पढ़ाई (फोटो नंबर-17) कैप्शन- 1915 में स्थापित मदरसा इसलामिया का भवन औरंगाबाद (नगर)शहर के एक मात्र मदरसा इसलामिया ही ऐसी शिक्षण संस्थान है जहां उर्दू की पढ़ाई होती है. मदरसा रोड […]

मदरसा इसलामिया में भवन व शिक्षको की कमी पूरे क्षेत्र में उर्दू के लिये अलग है पहचानप्रारंभिक शिक्षा से फाजिल तक की होती है पढ़ाई (फोटो नंबर-17) कैप्शन- 1915 में स्थापित मदरसा इसलामिया का भवन औरंगाबाद (नगर)शहर के एक मात्र मदरसा इसलामिया ही ऐसी शिक्षण संस्थान है जहां उर्दू की पढ़ाई होती है. मदरसा रोड स्थित स्थापित मदरसा इसलामिया में जिले के ही नहीं बल्कि अन्य जिले के छात्र-छात्राएं उर्दू की पढ़ाई के लिये आते हैं. लेकिन यहां भवन व शिक्षकों की कमी है. इससे छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में परेशानी हो रही है. इस विद्यालय में प्रारंभिक शिक्षा से लेकर फाजिल (एमए) तक की पढ़ाई होती है. उर्दू के क्षेत्र में यह इसलामिया पूरे मगध क्षेत्र के लिये इकलौता है. जहां पूरे मगध से छात्र-छात्राएं पढ़ाई के लिए यहां आते हैं. मदरसा इस्लामिया की स्थापना वर्ष 1915 में हुई थी और उस समय पूरे मगध क्षेत्र के सैकड़ो छात्र-छात्राएं यहां आकर तालीम हासिल करते थे. लेकिन आज विभाग व अधिकारियों द्वारा इसे उपेक्षित किया जा रहा है. इस इस्लामिया में संसाधनों की घोर कमी है जिससे छात्र-छात्राओं को परेशानी होती है. यहां दिन-प्रतिदिन छात्रों की संख्या तो बढ़ती जा रही है लेकिन उसके मुताबिक सुविधा नहीं बढ़ाये जाने से छात्र-छात्राओं की भविष्य पर प्रभाव पड़ है. यहीं नही यहां के छात्रों को कई समस्याओं से भी जूझना पड़ता है. मदरसा इस्लामिया में न तो विषयवार शिक्षक हैं और न ही कर्मचारी. शिक्षक,भवन की घोर कमीप्राचार्य ने बताया कि कॉलेज मंे भवन एवं शिक्षकों की घोर कमी है. छात्रों की संख्या के मुताबिक शिक्षक नहंी हैं जिससे पठन-पाठन में काफी परेशानी होती है. शिक्षकों की संख्या लगभग 25 होनी चाहिए थी. लेकिन 14 शिक्षकों के भरोसे ही हजारो छात्र-छात्राओं की पठन-पाठन करायी जा रही है. वहीं लिपिक की संख्या चार एवं आदेशपाल के पदों की संख्या दो है जिसमें अभी एक -एक पद पर ही नियुक्त हैं. लाइब्रेरियन का पद भी खाली है. यहां विभाग द्वारा सुविधाऐ उपल्ब्ध कराने की जारूरत है. संसाधन के अभाव में प्रबंधन को काफी परेशानी होती है.

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