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यहां दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

नवीनगर (औरंगाबाद) : शक्तिपीठ गजनाधाम आस्था व विश्वास का प्रतीक है. ऐसे तो हर रोज यहां सैकड़ों श्रद्धालु मां गजनेश्वरी की पूजा-अर्चना करते हैं,पर चैत रामनवमी की पूर्णिमा में काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. शनिवार को भी काफी दूर-दूर के श्रद्धालु आकर पूजा-अर्चना की. शक्तिपीठ गजनाधाम जिला मुख्यालय से 55 व प्रखंड मुख्यालय से […]

नवीनगर (औरंगाबाद) : शक्तिपीठ गजनाधाम आस्था व विश्वास का प्रतीक है. ऐसे तो हर रोज यहां सैकड़ों श्रद्धालु मां गजनेश्वरी की पूजा-अर्चना करते हैं,पर चैत रामनवमी की पूर्णिमा में काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
शनिवार को भी काफी दूर-दूर के श्रद्धालु आकर पूजा-अर्चना की. शक्तिपीठ गजनाधाम जिला मुख्यालय से 55 व प्रखंड मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर बिहार-झारखंड बॉर्डर दक्षिण-पश्चिम दिशा कररबार नदी तट पर अवस्थित है. मंदिर परिसर में किसी प्रकार की कोई प्रतिमा नहीं है. मंदिर के अंदर एक चबूतरा पर शक्ति स्वरूपा मां की पूजा होती है.
जानकारी के अनुसार, देवासुर संग्राम के समय असुरों की सेना से देवताओं की सेना घिर गयी थी. तब देवताओं ने शक्ति की आराधना की और मां देवी शक्ति ने सेना के साथ असुरों का संहार किया. विश्रम हेतु पुलस्त ऋषि आश्रम पहुंची,जहां पानी की कमी को दूर करने के लिए गजानन का रूप धारण कर अपने सूढ़ से जमीन खोद कर जल प्रवाहित किया. इसका नाम करिववारी नदी पड़ा. बाद में इसी नदी को कररबार के नाम से जाना जाने लगा. इस आश्चर्यजनक घटना से प्रभावित हुए ऋषि ने माता से जानना चाहा तो उन्हें गजानन रूप में माता ने दर्शन दिये. जब, मां देवी प्रस्थान करने लगी तो महर्षि ने यहां विराजने का आग्रह किया. ऋषि के विशेष आग्रह पर मां शक्ति रूप में विराजमान हुई.

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