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देखरेख के अभाव में बिजली शवदाह गृह जर्जर

अरवल : लगभग 40 लाख से बनी शवदाह गृह देख- रेख के अभाव में जर्जर हो गयी है. शवदाह गृह चालू नहीं होने से लोगों को शव जलाने के लिए लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. दूरी अधिक रहने से लोगों को लकड़ी आदि ले जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. […]

अरवल : लगभग 40 लाख से बनी शवदाह गृह देख- रेख के अभाव में जर्जर हो गयी है. शवदाह गृह चालू नहीं होने से लोगों को शव जलाने के लिए लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. दूरी अधिक रहने से लोगों को लकड़ी आदि ले जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

मालूम हो कि शहर के जनकपुरधाम में पीएचइडी द्वारा मुक्तिधाम के नाम पर लगभग 40 लाख रुपए शवगृह निर्माण के लिए मुहैया कराया गया. संवेदक द्वारा शव गृह का निर्माण कार्य पूरा कर 2012 में पीएचइडी को सौंप दिया.लेकिन आज तक शवदाह गृह में न तो एक भी शव जलाया गया और ना ही एक दिन के लिए भी मुख्य ताला खोला जा सका .शवदाह गृह में एक भी कर्मी की पद स्थापना नहीं होने के कारण चोरों द्वारा शवदाह गृह में लगाये गये सभी सोलर प्लेट एवं उसके बैट्री चुरा लिए गये.

वहीं आंधी के कारण शवगृह के आधे करकट उड़ गये. शवदाह गृह के आगे खेती करने वाले किसान भगवान चौधरी ने बताया कि शवदाह गृह बनने के पूर्व से वह खेती कर रहा है. भवन बनने के बाद एक दिन के लिए भी ताला नहीं खुल सका. इसके अभाव में पानी के छोर तक पहुंचने में लोगों को डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. शव के अलावा लकड़ी ले जाने के लिए कभी-कभार लोगों को ट्रैक्टर का सहारा लेना पड़ता है. विद्युत शवदाह गृह में शव जलाने में बहुत कम खर्च होता.

मुक्ति धाम के लकड़ी दुकानदार पिंटु साव बताते हैं कि एक शव जलाने के लिए कम से कम पांच मन लकड़ी की खरीद करते हैं. वर्तंमान में 400 रुपए प्रति मन लकड़ी है . शव गृह में भले ही शव न जला हो परन्तु जुआडि़यों के छिपने का ठिकाना यह जरूर बन गया है. इस संबंध में कार्यपालक अभियंता ने बताया कि पद सृजित का कोई पत्र उनके पास उपलब्ध नहीं है.

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