कुर्था अरवल : पोंदिल गांव में शनिवार की देर रात हुई वारदात में कलेजे के टुकड़े ने ही अपनी मां और सगे भाई को मौत की नींद सुला दी थी. लाश का पंचनामा कराये जाने के बाद घंटों लाश सिर्फ आस में रखी गयी कि शायद भगोड़ा बेटा इसे आकर मुखाग्नि दे सके. पशोपेश में समय बीतता देख ग्रामीणों ने तय किया कि अब मुखाग्नि दामाद से ही दिलवायी जाये.
विडंबना था इस मृत मां का, जिसे बेटा के जीवित रहते दामाद से मुखाग्नि लेनी पड़ी. एक बेटा मौत की नींद सुलाकर फरार है, वहीं दूसरा लाडला अस्पताल में जीवन और मौत से जूझ रहा. बगल के ही नेजमापुर गांव में दामाद संतोष कुमार को सूचना देकर बुलायी गयी. लोगों के कहने पर वे मुखाग्नि देने को तैयार हो गये. रविवार को जब मां और बेटे का शव घर पहुंचा था तो घर-परिवार का एक भी सदस्य मौजूद नहीं था. लाश को देखने के लिए भी गांव और पड़ोस के लोग ही थे. जनसहयोग से मृतका मालती और दिनेश की शवयात्रा में सैकड़ों गांव वाले शरीक हुए. मातमी माहौल में गांव से शव को पुनपुन तट के पंचतीर्थ धाम पर अंतिम संस्कार के लिए लाया गया.