आरा
. सोमवार को जिलेभर में वसंत पंचमी का पर्व मनेगा. वहीं विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की पूजा-पाठ छात्र-छात्राएं व बुद्धिजीवी वर्ग करेंगे. इसे लेकर लोगों ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. माता सरस्वती की पूजा को लेकर विद्यार्थियों द्वारा पंडालों सहित अन्य तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. घर के अलावा विभिन्न पूजा पंडालों व शैक्षणिक संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा होगी.सड़कों पर जयकारे के साथ प्रतिमाओं को ले जा रहे हैं भक्त :
रविवार की दोपहर से ही पूजा समितियों द्वारा देर शाम तक माता की प्रतिमाओं को कलाकारों से खरीद कर ले जाया जा रहा है. मां सरस्वती की प्रतिमाओं को पंडालों तक ले जाने के क्रम में मां के जयकारे लगाये जा रहे हैं. इससे पूरा वातावरण आध्यात्मिक बन गया है. भक्त मां की भक्ति में पूरी तरह रम चुके हैं .मां की प्रतिमाओं और भक्तों की भक्ति देखते ही बन रही है.वसंत पंचमी को लेकर आज नदी तटों पर उमड़ेंगे श्रद्धालु :
बसंत पंचमी को लेकर गंगा नदी सहित जिले की अन्य पवित्र नदियों व सरोवरों में श्रद्धालु बुधवार की सुबह से ही पहुंचकर पवित्र स्नान करेंगे व पूजा पाठ के बाद दान- पुण्य करेंगे.देवी-देवताओं पर चढ़ाया जायेगा अबीर-गुलाल :
वसंत पंचमी के दिन घरों व मंदिरों में देवी-देवताओं पर अबीर-गुलाल चढ़ाने का विधान है. इसी दिन से रंगों की शुरुआत की जाती है. पूजा -पाठ के बाद श्रद्धालु रंग अबीर चढ़ाते हैं व स्वयं इसका तिलक लगाते हैं. वहीं पूजा के प्रयोग में आनेवाले शकरकंद ,अमरूद, केला, पानीफल सहित अन्य मौसमी फलों की दुकानें सजायी गयी हैं.सजी हैं पूजा सामग्रियों की दुकानें :
सरस्वती पूजा व वसंत पंचमी को लेकर बाजारों में पूजा सामग्रियों की दुकानें सजाई गई है. दुकानों पर खरीदारों की भीड़ उमड़ रही है. इसे लेकर बाजार में चहल- पहल की स्थिति है. माता के लिए सिंदुर व अन्य शृंगार के सामान अबीर- गुलाल, हवन की सामग्री सहित पकवानों की सामग्री दुकानों में सजाई गयी हैं. क्यों मनाते हैं वसंत पंचमी : वसंत ऋतु के आगमन की खुशी व विद्या की देवी सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है.यह केवल उत्सव नहीं बल्कि भक्ति, शक्ति और बलिदान का प्रतीक भी है. देवी भागवत के अनुसार माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही संगीत, काव्य, कला, शिल्प, रस, छंद, शब्द शक्ति जिह्वा को प्राप्त हुई थी. वसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनने, हल्दी से सरस्वती की पूजा और हल्दी का ही तिलक लगाने का भी विधान है. पीला रंग फसलों के पकने व समृद्धि का सूचक है. पर्व के साथ शुरू होने वाली वसंत ऋतु के दौरान फूलों पर बहार आ जाती है.खेतों में सरसों सोने की तरह चमकने लगता है. जौ और गेहूं की बालियां खिल उठती हैं. वहीं रंग बिरंगी तितलियां उड़ती दिखने लगती हैं.इसे ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि वसंत पंचमी के दिन ही सिख गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है