आरा. श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में भारत के मनीषी संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा अंतर्गत प्रवचन करते हुए मानव जीवन और धर्म के महत्व पर प्रकाश डाला. स्वामी जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने उद्धव जी को प्रत्येक वर्ण और मानव मात्र के पालन योग्य धर्मों का ज्ञान दिया था. उन्होंने कहा कि सबसे पहला धर्म सदाचार, दूसरा सदव्यवहार और तीसरा सदआहार है. सात्विक जीवन, पवित्रता, सरलता और सहजता का पालन हर मानव का कर्तव्य है. स्वामी जी ने शरीर और मन की पवित्रता के लिए विभिन्न प्रकार के स्नान जैसे वरुण स्नान, मंत्र स्नान, गोरस स्नान, भस्म स्नान, कपि स्नान और दिव्य स्नान का महत्व बताया. उन्होंने संध्या वंदन, भक्तिमय जीवन, तामसी और राजसी वस्तुओं का त्याग, अहिंसा, सत्य, चोरी और चुगली न करना जैसे नैतिक गुणों का पालन करने पर जोर दिया. सर्वोच्च धर्म और गुण के रूप में उन्होंने सभ्यता, संस्कृति और संस्कार का महत्व बताया, जो माता-पिता, दादा-दादी, खान-पान, रहन-सहन और पारिवारिक मूल्यों से प्राप्त होते हैं. स्वामी जी ने कहा कि इन संस्कारों से ही मानव जीवन में संस्कृति की स्थापना होती है.
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